गौमूत्र से रोशन होगा जहा

कानपुर। सिर्फ आधे लीटर गोमूत्र से आप 28 घंटे न केवल एक सीएफएल बल्ब जला सकते हैं, बल्कि मोबाइल भी चार्ज कर सकते हैं। भौंती गौशाला कानपुर ने गो-ज्योति

नाम से ऐसा लैंप विकसित किया है जिसमें आधा लीटर गोमूत्र से एक सप्ताह तक झोपड़ी रोशन की जा सकती है। खास बात यह है कि इस संयंत्र के उपयोग में अन्य किसी प्रकार का कोई खर्च नहीं होता।

भौंती गौशाला में एक ऐसी बैट्री तैयार की गई है जो सिर्फ गोमूत्र से चार्ज होती है। छह वोल्ट की इस बैट्री में आधा लीटर गोमूत्र डाल देते हैं। इसके बाद सीएफएल का बैट्री के साथ कनेक्शन कर देते हैं। सुविधानुसार स्विच भी लगा लेते हैं। स्विच ऑन करते ही सीएफएल जल उठती है। इस बैट्री से एक अन्य लिंक निकालकर मोबाइल चार्जर भी लगा लिया जाता है।

गौशाला सोसाइटी के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद प्रेम मनोहर के अनुसार एक गोज्योति बनाने की लागत करीब डेढ़ हजार रुपये आती है। बल्ब में बनाने पर यह लागत और भी घट सकती है। आधे लीटर गोमूत्र से 28 घंटे तक बल्ब जलता है। गौशाला के इस अनुसंधान से आईआईटी एवं एचबीटीआई जैसे तकनीकी संस्थानों के वैज्ञानिक भी हतप्रभ हैं। उन्होंने भी माना कि गोमूत्र में वह शक्ति है, जिससे बल्ब जल सकता है। गौशाला की इस अनोखी गोज्योति को देखकर अभी गुजरात के एक स्वयंसेवी संगठन ने दो हजार लैंप तैयार करने का ऑर्डर भी दिया है। इसका अति पिछड़े गैरविद्युतीकृत ग्रामीण इलाकों में वितरण किया जाएगा।

ध्यान रहे कि कानपुर गौशाला सोसाइटी ने बीते वर्ष ही गोबर से सीजीएनजी तैयार की थी, जिससे सफलतापूर्वक कार चलाई जाती है। गौशाला सोसाइटी के सदस्य सुरेश गुप्ता बताते हैं कि अगर सरकार गो-ज्योति को प्रोत्साहित करे तो देश की वे झोपडि़यां भी सहजता से रोशन हो सकती हैं जहां अभी बिजली की कल्पना भी नहीं की जा सकती।


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आ गया जादुई तकिया! 

टोरंटो। परीक्षा के दिनों में अधिकतर छात्र रात में अपनी पढ़ाई पूरी करके सोते हैं। लेकिन सुबह होते-होते वह कई चीजें भूल जाते हैं। ऐसे छात्रों के लिए अब एक जादुई तकिया बनाया गया है। यह तकिया रात भर सारे अध्याय धीमे-धीमे बुदबुदाते रहेगा। जिससे सोने वाले की नींद में भी शब्द कान में पड़ते रहें। डेली मेल की खबर के अनुसार, इस अनोखे तकिए को बनाने वाले डिजायनर का दावा है कि यह तकिया पहले से रिकार्ड किए गए कक्षा के पाठ्यक्रम और छात्रों द्वारा बनाए गए नोट्स उन्हें रात भर सुनाएगा। जिससे सुबह उठने के बाद उन्हें चीजें याद रहेंगी। उन्होंने बताया कि 20 पौंड [करीब 13 सौ रुपये] के इस तकिए के फाइबर में एक स्पीकर लगाया गया है। इसे एमपी-3 और सीडी प्लेयर से भी जोड़ा जा सकता है। अगर कोई खर्राटे की समस्या से पीडि़त है, तो उसका जीवनसाथी भी इस तकिये की मदद ले सकता है। यह तकिया रात भर हल्का संगीत सुनाएगा, जिससे खर्राटे नहीं सुनाई देंगे। लेकिन परीक्षा के दिनों में छात्रों के लिए यह तकिया सबसे अधिक उपयोगी है। अमेरिका में परीक्षा के समय छात्रों की शारीरिक गतिविधियों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के दल ने भी इस तकिए को काफी उपयोगी बताया है। उनका मानना है कि सोते समय स्मरण किया गया पाठ्यक्रम परीक्षा देते समय आसानी से याद आ जाता है .

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अब मोबाइल भी चार्ज करेंगे जूते!

वेलिंगटन। जूते पहनकर चलते-फिरते अगर आपका मोबाइल भी चार्ज हो जाए, तो क्या हर्ज है? वेलिंगटन की एक कंपनी ने ऐसे जूते बनाए हैं, जो पैरों का पसीना तो सोखेंगे, साथ ही पैरों की गर्मी से बिजली पैदा करेंगे। इस बिजली से आप कहीं भी कभी भी अपने मोबाइल को चार्ज कर सकते हैं।

इन जूतों को 'आरेंज पावर वैलीज' नाम दिया गया है। इनमें बिजली का उत्पादन करने वाले सोल का इस्तेमाल किया गया है। यह सोल ही पैर की ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदल देंगे। जूतों को न्यूजीलैंड की कंपनी 'आरेंज' ने ऊर्जा उत्पादन करने वाली कंपनी 'गोटविंड' के साथ मिलकर लांच किया। इन जूतों को 12 घंटे पहनकर एक घंटे तक मोबाइल चार्ज करने भर की बिजली पैदा की जा सकती है। यानी आफिस में काम करते समय या फिर सैर सपाटे के दौरान भी इन जूतों से बिजली तैयार की जा सकती है।

दरअसल इन जूतों का सोल भौतिक विज्ञान के 'सीबैक' प्रभाव के मुताबिक काम करता है। इस क्रिया में सोल पैरों की ऊष्मा और जमीन की ठंडक को मिलाकर बिजली उत्पन्न करता है।

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अब और छोटा हो जाएगा कम्प्यूटर

वॉशिंगटन। अमरीकी वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे छोटा ट्रांजिस्टर बनाने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस ट्राजिस्टर के अविष्कार से कम्प्यूटर के आकार को और छोटा करने में मदद मिलेगी। यह ट्रांजिस्टर केवल सात अणुओं से मिलकर बना है। ट्रांजिस्टर का आकार इतना छोटा है कि एक मीटर का केवल एक बिलीयनवां हिस्सा भर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे सामान्य ट्रांजिस्टर की भांति काम में लिया जा सकता है। इस ट्रांजिस्टर में सामान्य ट्रांजिस्टर की भांति में बिजली के प्रवाह को नियंतित्रत किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे बनाने के लिए माईक्रास्कोप का इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि एक अणु को मेनवली जोड़ा गया है। एक क्रिस्टलीय सिलीकॉन के चारों ओर सिर्फ सात परमाणुओं को जोड़कर इसे बनाया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके काम करने की क्षमता काफी अधिक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके जरिए कम्प्यूटर का आकार और छोटा करने में सफलता हासिल की जा सकेगी।
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कुत्तों के लिए म्यूजिक कंसर्ट
सिडनी। क्या कुत्तों को भी मनोरंजन की आवश्यक्ता होती है? इस सवाल का जवाब तो फिलहाल किसी के पास नहीं है,
लेकिन आस्ट्रेलिया में कुत्तों के मनोरंजन के लिए विशेष संगीत समारोह आयोजित किया जा रहा है। राजधानी सिडनी के ओपेरा हाउस में पांच जून को कुत्तों का म्यूजिक कंसर्ट होगा। ..और विश्वास कीजिए कि इसमें बजने वाला संगीत भी खास तौर पर कुत्तों के लिए होगा। इस समारोह में इतनी ऊंची ध्वनि पर संगीत बजाया जाएगा, जिसे केवल कुत्तों के ही कान झेल पाएंगे। आस्ट्रेलियन डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, लारी एंडरसन ने कुत्तों की सुनने की क्षमता के अनुरूप बीस मिनट का यह कार्यक्रम तैयार किया है। कुत्ते इंसानों के कानों की रेंज से ऊपर की ध्वनि को भी सुन सकते हैं। दरअसल यह कार्यक्रम 27 मई से ओपेरा हाउस में शुरू हो रहे विविड लाइफ म्यूजिक फेस्टिवल का ही एक हिस्सा है। यहां रहने वाली एक महिला रेनी रसेल ने कहा कि वह अपने कुत्ते को समारोह में लेकर अवश्य जाएंगी। उन्होंने बताया कि मैं वहां जरूर जाऊंगी। मैं देखना चाहती हूं कि उस दौरान मेरे कुत्ते की प्रतिक्रिया कैसी होती है। कुत्तों के लिए मनोरंजन का साधन जुटाना काफी मुश्किल काम है। वे लोग कुत्तों के लिए कांसर्ट का आयोजन करके काफी नेक काम कर रहे हैं।
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गैस लीक हुई तो मिल जाएगा एसएमएस

भुवनेश्वर। अगर घर से निकलने के बाद भी किचन में गैस लीक होने का डर आप के मन से निकल नहीं रहा है तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक ऎसी नई तकनीक विकसित की गई है जिसके जरिए आपके किचन में गैस लीक होते ही आपको एसएमएस मिल जाएगा।

http://img1.tradeget.com/tmt/OYLR3SIL1LPG%20Cylinder%20picture.jpgआप चाहे घर में है या बाहर। कुछ भी गलत होते ही आपका मोबाइल इस खतरे से आपको आगाह कर देगा इतना ही नहीं सिलेण्डर का स्विच ऑफ करने के लिए भी आपको घर भागने की जरूरत नहीं घर में रोबोट निर्देश मिलते ही यह काम कर देगा। भुवनेश्वर की एक कंपनी ने इसे विकसित किया है। 

कंपनी के सीईओ कुशाल नाहटा का कहना है कि इससे आम आदमी के जीवन सरल और सुरक्षित बन सकेगा। उनके मुताबिक 
हर साल रसोई गैस लीक के कारण 
7000 लोगों की मौत हो जाती है। इस रोबोटिक उपकरण 
के जरिए गैस लीक की जानकारी मिलने के बाद 
सिलेण्डर को स्वीच ऑफ किया जा सकता है। कंपनी 
रोबोट का सैन्य, चिकित्सा, उपभोक्ता और ओद्यौगिक 
जगत में इस्तेमाल करने प्रयोग कर रही है। 
इसके अलावा कंपनी ने फार आई नाम का उपकरण भी बनाया है जिससे घर से दूर रहते हुए घर की वीडियो क्लिप्स आपको मिलते रहेंगे.
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सिर के इशारे पर काम करेगा कंप्यूटर

ग्रेटर नोएडा कंप्यूटर में माउस बिना काम करना असहज बन जाता है। लेकिन जो लोग किसी दुर्घटनावश अपने हाथ या उंगली गवां देते हैं उनके लिए कंप्यूटर पर काम करना सहज नहीं होता। लेकिन, नॉलेज पार्क के स्काई लाइन कॉलेज के दो छात्रों की एक रिसर्च ने हाथ से विकलांग लोगों के लिए बिना माउस कंप्यूटर के उपयोग को सहज बना दिया है। ऐसे लोग अपने सिर व आंखों की मदद से कंप्यूटर के कर्सर को कंट्रोल कर सकेंगे। इस रिसर्च को अंजाम दिया है बीटेक कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष के छात्र अतुल राय व अखिलेश अग्रवाल ने। अतुल व अखिलेश की इस रिसर्च को फ्रांस में आईपीटीए 10 कांफ्रेस में भेजा था। जहां इंस्टीटयूट ऑफ इलेक्ट्रीकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर ने उसे सराहा है। अतुल पांच जुलाई को फ्रांस में रिसर्च पेपर पेश करेगा।

अब रोबोट बमों को निष्क्रिय करेगा

http://www.psychologytoday.com/files/u45/robot.jpgनई दिल्ली। राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने से पहले ही दिल्ली पुलिस बमों का पता लगाने और उसे निष्क्रिय करने के मकसद से एक मिनी रिमोट-ऑपरेटिंग वाहन (एमआरओवी) खरीदेगी। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने बताया, "हमने बुधवार को एमआरओवी का तकनीकी मूल्यांकन किया। रोबोट को खरीदने की यह पहली प्रक्रिया है।"

उन्होंने कहा, "अभी बोली लगाना बाकी है। हमें पूरा विश्वास है कि राष्ट्रमंडल खेल के पहले ही उसे खरीद लिया जाएगा।"

एमआरओवी को बनाने वाली कंपनी कनाडा की है। इसका मुख्य काम छिपाए गए बमों का पता लगाना और उसे निष्क्रिय करना है। रोबोट का वजन 65 किलोग्राम है और इसे 500 मीटर की दूरी से नियंत्रित किया जा सकता है। यह 113 किलोग्राम का भार भी उठा सकता है।

एमआरओवी के पास हाथ, कंधे हैं और उसमें चार कैमरे भी लगे हैं। यह किसी भी मौसम में काम कर सकता है, लेकिन इसे आग से दूर रखना होता है।
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३२ दिग्गजों की टीम रिसर्च कर रही हैं ८२ साल के भाईजानी पर

७५ साल से बगेर खाए - पिए जिंदा है भाईजानी

अहमदाबाद।। प्रह्लाद भाई जानी की उम्र 82 साल है और लोग उन्हें माताजी कह कर बुलाते हैं। सामान्य बुजुर्ग से दिखने वाले इस शख्स में ऐसा क्या है कि मेडिकल साइंस समेत पूरी दुनिया के लिए यह अजूबा बन पड़ा है।

दरअसल, करीब 75 साल से प्रह्लाद भाई जानी बिना कुछ

खाए-पिए किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह जिन्दा रह 

रहे हैं। आठ साल की उम्र से प्रह्लाद ने खाना पीना छोड़ 

दिया था और आज तक किसी भी रूप में अन्न- जल 

उन्होंने मुंह के अंदर नहीं लिया है। तमाम रिसर्च और 

निगरानी के बावजूद डॉक्टर इस शख्स की सोर्स ऑफ 

एनर्जी का राज नहीं जान पाए हैं। 


एक बार फिर से उन पर 'रिसर्च' करने का फैसला 

किया। 32 दिग्गजों की टीम प्रह्लाद जानी पर रिसर्च कर 

रही है। टीम में स्टर्लिंग हॉस्पिटल के न्यूरॉलॉजिस्ट 

डॉक्टर सुधीर शाह के साथ 25 दिग्गजों शामिल हैं और 

डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी ऐंड अलाइड साइंस 

(DIPAS)के सात वैज्ञानिक हैं।


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गंगा को बचाने की मुहिम

धरती के लिए बार-बार अपनी जान जोखिम में डालने वाले संत का नाम है डॉ. जीडी अग्रवाल। जीडी अग्रवाल इंजीनियर रहे हैं और आईआईटी कानपुर में इन्होंने कई साल इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाया भी है। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बार्कले से पीएच.डी की डिग्री हासिल की है। नौकरी छोड़कर वे धरती बचाने की मुहिम में लग गए। गंगा को बचाने के लिए डॉ. अग्रवाल ने लंबी लड़ाई लड़ी है।

 

 वे उत्तराखंड सरकार से भी कई बार टकरा चुके हैं। भैरों घाटी और पाला-मनेरी जल-ऊर्जा परियोजनाओं पर रोक लगाने और गंगोत्री से उत्तरकाशी तक भागीरथी गंगा के संरक्षण के लिए उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2008 में उन्होंने पहली बार उत्तरकाशी में धरना दिया था। सरकार झुकी और भैरों घाटी और पालामनेरी प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी गई। 

 

इसके बाद गंगा को बचाने के लिए उन्होंने फिर डेढ़ महीने का अनशन किया। डॉ. अग्रवाल गंगा को अपनी मां मानते हैं और गंगा को बचाने के लिए वे कई बार अनशन पर बैठे। 76 साल के डॉ. जीडी अग्रवाल कहते हैं- मैं गंगा मां की 'हत्या' होते नहीं देख सकता। मैं असहाय नहीं हूं, जब तक जिंदगी है, धरती, गंगा और पर्यावरण को बचाने के लिए लड़ता रहूंगा। 


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ताइवान की एक अति विनम्र और दयालु सब्जी बेचने वाली मिस चेन सू चू में ऎसी क्या खास बात है कि एक सामान्य सब्जी विक्रेता होते हुए टाइम मैगजीन ने उन्हे रोल मॉडल चुनकर 100 लोकहितैषी लोगों में शुमार किया है। द रीडर्स डाइजेस्ट ने गत वर्ष नवम्बर में एशियन ऑफ द ईयर घोषित किया है। फोब्र्स मैगजीन ने उसे एशिया-प्रशांत रीजन के 48 प्रमुख समाजसेवियों में स्थान दिया है।

मिस चेन दिन रात सब्जियां बेचने में इसलिए तल्लीन रहती हैं, ताकि दूसरों के भविष्य व जिंदगी को बेहतर बनाया जा सके। उन्होंने अब तक कई मिलियन डॉलर गरीब, बेसहारा, कमजोर लोगों के लिए दान कर दिए हैं। चेन कभी फंड या डोनेशन नहीं लेतीं। मिस चेन रात 2.30 बजे उठकर वेजीटेबल होलसेलर के पास पहुंच जाती है और  सुबह 4-5 बजे तक अपनी स्टॉल को जमा लेती हैं।

फिर यह कार्य रात 9 बजे खत्म होता है। न्यूयॉर्क में टाइम मैगजीन द्वारा सम्मान प्राप्त करने जाते समय राष्ट्रपति मा यिंग जीऊ से उनकी व्यक्तिगत भेंंट हुई। वित्तमंत्री ने भी उन्हें साथ चलने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने विनम्रता से इनकार कर दिया। वह कहती हैं कि मैं यह सब जीतने के लिए नहीं कर रही हूं। उनके अवार्ड न लेने जाने की एक ही वजह थी कि उनके रेगुलर ग्राहक सब्जी नहीं ले पाएंगे।

इतनी लोकप्रियता होने के बाद भी वे अति विनम्रता के साथ कहती हैं, मैंने असाधारण कुछ भी नहीं किया है। अपने बचपन के कठिन दिनों की वजह से हर गरीब की जरूरत को महसूस करती हूं। 1950 में जन्मी चेन ने प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करते ही अपनी मां को खो दिया। अस्पताल में होने के बावजूद पैसे के अभाव में मां की मृत्यु हो गई। मिस चेन ने पड़ौसियों को पैसे उधार देने के लिए कहा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

परिवार में सबसे बड़ी होने की वजह से सारा ध्यान परिवार की तरफ लगाना पड़ा, इसलिए पढ़ाई छूट गई। और सारा ध्यान सब्जी की दुकान की तरफ लगा दिया। जब अठारह साल की थी, तब भाई की भी बीमारी से मृत्यु हो गई। उनकी प्राइमरी स्कूल की टीचर मि. हॉन्ग शुंग जॉंग ने इन्हें सहायता भेजी, लेकिन दुर्भाग्य से वे अपने भाई को बचा नहीं सकीं। अपने परिवार की दयनीय स्थिति को देखने के बाद मिस चेन ने सक्षम होते ही गरीबों की सहायता करने का संकल्प लिया। सन् 2000 में उन्होंने रेन ए प्राइमरी स्कूल को आपात सहायता के लिए 1 मिलियन डॉलर सहायता दी। उन्होंने सिर्फ गरीबों की सहायता पर पूरा ध्यान लगाने के लिए शादी नहीं की। उनके दान का सिलसिला थमा नहीं।

 2001 में स्कूल टीचर मि. ली को स्कूल में एक लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए चार से पांच मिलियन डॉलर की जरूरत थी। उन्होंने चेन से 50 हजार डॉलर का सहयोग देने के लिए कहा। लेकिन ली यह जानकर हैरान रह गए कि वह तो पूरा फंड देने को तैयार थी।

मई 2005 में दो मंजिला लाइब्रेरी तैयार भी हो गई। उनसे जब इतना सारा धन डोनेट करने के बारे में पूछा जाता है, कि तुम कैसे सब्जी की दुकान से कमा लेती हो, तो उनका जवाब सीधा सा होता है, तुम अपना खर्च करने की आवश्यकता कम कर लो या उतना ही खर्च करो, जितनी न्यूनतम आवश्यकता है, तो तुम खूब सारा धन कमा सकते हो। उन्होंने 1996 में किड्स अलाइव इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन को तीन बच्चों की मदद करने के लिए 36 हजार डॉलर की सहायता दी।

मिस चेन अपनी जिंदगी बिना किसी ऎशोआराम के बिताती हैं। वे खुशी से कहती हैं कि मैं एक दिन में 16 घंटे काम करने में सक्षम हूं। भोजन और सोने की जगह के अलावा जो कुछ भी है, वह विलासिता का साधन है।

वे कभी महंगे कपड़े नहीं खरीदती। हमेशा कठोर फर्श पर सोती हैं। मिस चेन का अगला लक्ष्य गरीब बच्चों के लिए एक कॉलेज खोलना है, जिसके लिए उन्हें 10 मिलियन डॉलर की आवश्यकता है। वे कहती हैं, इसके लिए मुझे और अधिक सब्जियां बेचने की जरूरत है। लोग उनसे पूछते हैं कि वे कठोर परिश्रम से कमाई को इतनी आसानी से कैसे दान कर देती हैं, तो उनका जवाब होता है, जिंदगी बहुत छोटी सी है, पता नहीं कब मौत आ जाए, फिर जो मैंने कमाया है वह किस काम आएगा। कम से कम ढेरों गरीब, अनाथ, बेसहारा लोगों के चेहरों पर मुस्कान तो लौट रही है। पैसे का इससे बेहतर इस्तेमाल और क्या हो सकता है।

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लंदन। ब्रिटेन के एक चित्रकार को देख कर अगर कहें कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ चित्रकार माने जाने वाले स्पेन के पाब्लो पिकासो का पुनर्जन्म हुआ है, तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए। ब्रिटेन के इस सात वर्षीय चित्रकार का नाम है कीरोन विलियमसन। चित्रकारी की दुनिया में इस बच्चे ने जबरदस्त धूम मचा रखी है। इस जूनियर पिकासो ने महज आधे घंटे के अंदर अपनी पेंटिंग्स को बेचकर डेढ़ लाख पाउंड (करीब दो करोड़ रुपये) कमा लिए।

-दूर-दूर से लगी बोलियां : सप्ताहांत में बिकी विलियमसन की 33 पेंटिंग्स को खरीदने में दुनिया भर के लोगों ने रुचि दिखाई। उसकी पेंटिंग्स को खरीदने के लिए एरिजोना, न्यूयॉर्क, दक्षिण अफ्रीका समेत दूर-दूर से लोग आए। कई लोगों ने फोन पर भी बोलियां लगाई। विलियमसन ने अपने गृह नगर नॉरफॉक के होल्ट इलाके में तीन दिन तक यह प्रदर्शनी लगाई। इस प्रदर्शनी में उसकी ऑयल और वाटरकलर पेंटिंग्स को रखा गया।

उसकी सबसे महंगी पेंटिंग का नाम है सनराइज एट मोर्सटन। यह करीब छह लाख रुपये में बिकी। दूसरे नंबर पर उसकी पेंटिंग की कीमत थी पांच लाख रुपये। दो साल पहले तक विलियमसन अपने माता-पिता की मदद से केवल डायनासोर के चित्र बनाता था। लेकिन जब से वह परिवार के साथ तटीय इलाके कार्नवैल में छुट्टियां मनाने गया, तब से बंदरगाह और पानी में तैरते जहाजों के चित्र बनाने लगा।

पहली प्रदर्शनी उसने छह साल की उम्र में लगाई थी। उस दौरान उसकी 19 पेंटिग्स ने दस लाख रुपये की कमाई की थी। उसके बाद पिछले साल नवंबर में भी उसकी 16 पेंटिंग्स महज 14 मिनट में बिक गई थी।

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एलियन ने किया अंतरिक्ष यान का अपहरण!

वाशिंगटन । पिछले दिनों लोकप्रिय वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने चेतावनी दी थी कि पृथ्वी वासियों को एलियन से संपर्कhttp://www.newanimal.org/alien_asgard_stargate.jpgसाधने की कोशिशें बंद करनी चाहिए क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। अब एक उड़नतश्तरी विशेषज्ञ का दावा है कि एलियन ने अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक अंतरिक्षयान का अपहरण कर लिया है। इस विशेषज्ञ का कहना है कि एलियन वाएजर-दो यान का इस्तेमाल पृथ्वी से संपर्क स्थापित करने में कर रहे हैं। मानवरहित 
वाएजर-दो 1977 से अंतरिक्ष में है। बीते कुछ समय से वह अजीबोगरीब संदेश भेज रहा है। इससे वैज्ञानिक भ्रमित हैं।

उड़नतश्तरी पर किताब लिखने वाले जर्मनी के हार्टविग हासडार्फ का मानना है कि यान का नियंत्रण दूसरे ग्रह के प्राणियों ने अपने हाथ में ले लिया है। अंतरिक्ष में भेजे जाने के बाद से वोएजर-दो वैज्ञानिकों के अध्ययन के लिए पृथ्वी पर काफी आंकड़े भेजता रहा है। लेकिन इस साल 22 अप्रैल और उसके बाद भेजी गई कई सूचनाएं काफी अजीबोगरीब थीं। 

नासा का दावा है कि साफ्टवेयर में आई किसी समस्या के कारण ऎसा हुआ है। अंतरिक्ष यान के बाकी हिस्से सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। लेकिन हासडार्फ का मानना है कि यह एलियंस का काम है। जर्मन अखबार बिल्ड ने उनके हवाले से कहा, ऎसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने अंतरिक्षयान का अपहरण कर लिया है या फिर उस पर नए तरीके से काम करना शुरू किया है। लेकिन हम अभी सच नहीं जान पाए हैं।

जानकारों के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की बातें सामने आईं हों। कुछ दिनों पहले भी यह कहा गया था कि ब्रिटेन के एक पायलट ने यूएफओ का पीछा किया जिसमें एलियन भी थे। घटना के कुछ ही देर बाद ब्रिटिश विमानन सेवा ने इस तरह की खबरों का खंडन कर दिया। अब चंद दिनों में यह दूसरा वाकया पेश आया है।
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जीनियस चोर बना फेसबुक का हीरो

होनहार बिरवान के होत चिकने पात, यह कहावत अपराध के जगत के लिए भी लागू है। हवाई जहाज चुराकर मशहूर हुआ कोल्टन हैरिस मूर अब भी दुनिया के सबसे जीनियस लोगों में है। उसका कहना है, मौका दो महीने भर में लादेन को पकड़ लूँगा। 

उसकी उम्र है सिर्फ 19 साल, नाम है कोल्टन हैरिस मूर। कानून से मुठभेड़ की उसकी कहानी तब शुरू हुई थी, जब वह सिर्फ 12 साल का था। जिस शहर में वह पहुँच जाता था, वहाँ उठाईगीरी की बाढ़ लग जाती थी। खासकर कार चोरी के मामले में उसे स्पेशलिस्ट समझा जाता था।

उम्र बढ़ती है, हाथ में निखार आता है। आखिर उसने एक हवाई जहाज चुरा लिया। सन 2009 में सीएट्ल के पास कास्केड पहाड़ियों में एक प्राइवेट हवाई जहाज के मलबे मिले। तहकीकात के दौरान पता चला कि यह हवाई जहाज आइडैहो के एक हैंगर में रखा गया था, जहाँ कोल्टन के खाली पैर के निशान मिले और यहीं से जन्म हुआ खाली पैर उठाईगीर या बेयरफुट बैंडिट के मिथक का।

उसके नाम अंतरराष्ट्रीय वारंट जारी करना पड़ा और सन 2007 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। कैद की सजा दी गई, लेकिन सन 2008 में ही वह जेल से भाग निकला। कहीं कोई सुराग नहीं था, लेकिन जहाँ-जहाँ से वह गुजरा, चोरी की बाढ़ आ गई। महीनों के अंदर भारी चोरी के 50 मामले सामने आए।

इस बीच में इंटरनेट पर वह हीरो बन चुका है। फेसबुक पर उसका फैन पेज है, जिसके लगभग 69 हजार सदस्य हैं। वॉशिंगटन स्टेट में वह लगभग पुलिस की पकड़ में आ गया था, लेकिन पलक झपकते ही 6 फीट पाँच इंच का हैरिस मूर गायब हो गया। डिप्टी शेरिफ का कहना था कि सिर्फ घने जंगल के भीतर से उसके ठहाके की आवाज सुनाई दे रही थी।

उसकी माँ पैम कोएलर कहती हैं कि उनका बेटा अपराधी तो है, लेकिन है जीनियस। एकबार एक आई क्यू टेस्ट में पाया गया कि उसका आई क्यू महान वैज्ञानिक आईनस्टाईन से सिर्फ तीन अंक कम है।

खैर, इस बार बहामा में उसे गिरफ्तर कर अमेरिका भेज दिया गया है। बहामा में उसकी वकील मोनिक गोमेज ने मजाक में उससे पूछा कि वह सीआईए में क्यों नहीं भर्ती हो जाता है? उसने वादा किया है कि इस बारे में वह गंभीरता से सोचेगा। वैसे उसका कहना है कि अगर उसे मौका दिया जाए तो वह महीनेभर के अंदर ओसामा बिन लादेन को पकड़ लेगा, तो फिर देर किस बात की?
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अब कार में भी होगा ब्लैक बॉक्स

http://www.weblogsinc.com/common/images/7561335245623213.JPG?0.004518694401336232लंदन | कंप्यूटर की दुनिया में अग्रणी इंटेल के वैज्ञानिक एक ऐसी स्मार्ट कार तैयार कर रहे हैं जिसमें विमान की तर्ज पर ब्लैक बॉक्स होगा। यह बॉक्स किसी दुर्घटना के दौरान चालक के व्यवहार की पूरी जानकारी अॅाडियो-वीडियो समेत मुहैया कराएगा। परियोजना से जुड़े शोधकर्ताओं ने बताया कि यह खास उपकरण वाहन की गति दर्ज करेगा और बताएगा कि किन हालात में ब्रेक लगाए गए। यह उपकरण कार के भीतर और बाहर के दृश्यों को भी कैद करेगा। इससे दुर्घटना की पड़ताल में मदद मिलेगी। टेलीग्राफ के मुताबिक शोधकर्ताओं की माने तो किसी दुर्घटना की स्थिति में तमाम सूचनाएं खुद ही पुलिस और बीमा कंपनी तक पहुंच जाएगी। इंटेल इस तकनीक को कारों में लगाने के लिए कई कार कंपनियों के साथ विचार-विमर्श कर रही है। सिक्किम में 17 करोड़ की लागत से बनेगी फैशन स्ट्रीट गंगटोक : सिक्किम में राष्ट्रीय राजमार्ग-31ए पर आधा किलोमीटर के क्षेत्र में एक आधुनिक फैशन स्ट्रीट का विकास किया जाएगा। इस पर 15 से 17 करोड़ रुपये की लागत आएगी। नगर विकास और आवास विभाग द्वारा बनाए जाने वाले इस फैशन स्ट्रीट में शोरूम रेस्टोरेंट, ब्यूटी पार्लर, सैलून और बड़ी दुकानें होंगी। विभाग के मुख्य अभियंता सी. जैंगपो ने कहा कि हमारी योजना क्षेत्र को एक समागम स्थल के रूप में विकसित करने की है जहां दुकानदारी और लुत्फ उठाने जैसी सभी चीजें पूरी हो सकें। परियोजना का पहला चरण इस साल दशहरा से शुरू होने की उम्मीद है
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पार्टी की तो जेल और कोड़ों की सज़ा

अदालत के सूत्रों के अनुसार 11 पुरूषों और दो महिलाओं को एक से दो साल की जेल और कोड़ों की सज़ा सुनाई गई है वहीं अन्य दो महिलाओं को अस्सी कोड़े लगाए जाने का आदेश दिया गया है.

सूत्रों का कहना है कि सउदी अरब में मजहबी क़ानूनों का लागू करने वाली पुलिस, मुतौवा, ने हेल शहर में चल रही एक पार्टी पर छापा मारा.

ये शहर सउदी अरब के बेहद रूढ़िवादी शहरों में से है.

सउदी क़ानून इस्लाम की उस व्याख्या को सख़्ती से लागू करता है जिसके तहत पुरूष और महिलाएं जिनके बीच रिश्ता नहीं हो एक दूसरे से मेलजोल नहीं रख सकते.

समाचार एजेंसियों के अनुसार ये पार्टी देर रात तक जारी थी जब पुलिस ने वहां छापा मारा.

ये गिरफ़्तारियां ऐसे समय पर हुई हैं जब सउदी अरब में पुरूष और महिलाओं के मेलजोल पर बहस हो रही है.

इसी महीने एक सउदी अदालत ने एक युवक को चार महीनों की जेल और कोड़ों की सज़ा सुनाई थी क्योंकि उसने एक शॉपिंग मॉल में अपनी महिला मित्र को चूमा था और गले लगाया था.

दो साल तक उसके किसी मॉल में जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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झूठ बोलेगा आपका मोबाइल

http://www.istockphoto.com/file_thumbview_approve/2243691/2/istockphoto_2243691-mobil-cell-phone.jpgनई दिल्ली | अगर आपको बहाने बनाने में दिक्कत महसूस होती है। या फिर झूठ बोलने में आपको हिचक महसूस होती है तो फिर आपका मोबाइल आपका साथ देगा। जैसे आप दफ्तर से निकलना चाहते हैं। या फिर आप मन मार कर किसी के साथ बैठे हैं और उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं। आपका मोबाइल फोन इसमें आपकी मदद करेगा। एक मोबाइल कंपनी के कुछ हैंडसेटों में फेक कॉल (फर्जी कॉल) नाम से सेवा शुरू की गई है। इसे मोबाइल धारक एक्टीवेट कर सकता है। एक्टीवेट होने के कुछ देर में ही मोबाइल बजेगा और वहां मौजूद व्यक्तियों को लगेगा किसी का फोन आया है। इस मोबाइल कंपनी के अधिकारी के अनुसार, फेक कॉल की सुविधा का प्रयोग आप किसी से बचने के लिए कर सकते हैं। इस सुविधा के तहत अगर आपने पहले से अपनी या किसी और की आवाज सेव कर रखी है, तो फेक कॉल के दौरान वही आपको सुनाई देगी। आप अधिकतम 10 सेकेंड पहले से इस सुविधा को एक्टीवेट कर सकते हैं और यह कॉल कितनी भी लंबी चल सकती है। आप किसी से बात करते समय चाहते हैं कि आपके मोबाइल पर यह फर्जी काल आए, तो यह भी संभव है। इसके लिए आपको जेब में हाथ डालकर हैंडसेट के दो बटन दबाने होंगे, जिसके बाद कुछ ही सेकेंड में मोबाइल बज उठेगा।
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जर्मनी में  छोटे बच्‍चों को मिलता है ‘ड्राइविंग लाइसेंस’..

जर्मनी। पांच से 11 वर्ष के बच्चों का ड्राइविंग स्कूल। जी हां, स्कूल भी ऐसा जहां इन नौनिहालों को मोटर प्रशिक्षण के बाद बाकायदा ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाए और बच्चे अपने लिए विशेष तौर पर निर्धारित ट्रैक पर अपनी छोटी गाड़ियां दौड़ाते फिरें।

फॉक्स वैगन कार कंपनी द्वारा यहां बनाये गये ऑटोस्टेट यानि ‘मोटर नगरी’ में छोटे-छोटे बच्चों को पंक्तिबद्ध अपने कार लाइसेंस के लिए इंतजार करते देखना एक सुखद किन्तु आश्चर्यजनक अनुभव था। 

ऑटोस्‍टेट की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां का दौरा करने गये भारतीय संवाददाताओं के एक दल को ऑटोस्‍टेट के प्रवक्ता ने बताया कि भावी ड्राइवरों यानि आज के इन बच्चों को सड़क सुरक्षा के गुर सिखाने के लिए कंपनी ने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया है। इसमें बच्चों को कंपनी द्वारा निर्मित बीटल कारों के विशेष नमूनों के जरिए ड्राइविंग कौशल सिखाया जाता है।

इस कार नगरी में बच्चों को ड्राइविंग सिखाने के लिये विशेष ट्रैक बनाये गये हैं। कार्यक्रम के पहले दिन बच्चे इन छोटी कारों में स्टीम्यूलेटरों के जरिए तथा बाद में चार मिनट की ड्राइव करते हैं।

यह ड्राइविंग माता-पिता की देखरेख में होती है। उसके बाद में 15 ट्रैफिक मॉड्यूल के जरिए अलग-अलग ट्रैफिक प्वाइंट पर प्रशिक्षण दिया जाता है और प्रशिक्षण के बाद उन्हें बाकायदा ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाता है ताकि वे छुट्टियों विशेष तौर पर ग्रीष्मावकाश के दौरान ऑटोस्टेट के बाहर बच्चों के लिए निर्धारित ट्रैक पर अपनी छोटी गाडियां चला सकें।

अपने माता-पिता के साथ ड्राइविंग पाने की बेताबी में बारबार रिशेप्सन पर बैठी महिला के पास दौड़-दौड़ कर जा रही छह वर्षीय मारिया ने जर्मन भाषा में बड़ों सी बातें करते हुए कहा कि, “मुझे सावधानी से गाड़ी चलानी चाहिए।” मम्मा कहती है ‘बी केयरपुल’ लेकिन सात वर्षीय पिट्ज को लगता है कि वह बड़ा हो चुका है और ड्राइविंग उसके लिए फन होगी।

फॉक्स वैगन समूह इंडिया के प्रवक्ता कर्ट रिफोल्ज ने बताया कि एक जून 2000 में बना ऑटो स्टैट अब एक पर्यटक स्थल बन चुका है जिसने अब तक लगभग दो करोड़ लोग कारों की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी देखने तथा कारों के अनुभव को जीने यहां आ चुके हैं। 

2,800 करोड़ रुपए की लागत से बनी दुनिया में अपनी तरह की यह अनूठी परियोजना है जिसे बनाने में ही दो वर्ष लग गये। उन्होंने बताया यहां पर न केवल सैलानी कार नगरी देखने आते है बल्कि कार खरीदने के अनूठे अनुभव के लिए भी विशेष तौर पर भी लोग यहां आते हैं।

ऑटोस्टेट में बहुमंजिला एक अनूठा कार संग्रहालय भी है जहां दुनिया भर की नयी, पुरानी कारें रखी हुई हैं। इसमें भारतीय एम्बेसडर कार के अलावा इसी कम्पनी द्वारा निर्मित अपनी एक लाख एकवीं कार भी प्रदर्शित की गयी है जिसमें नगीने जडे़ हुए हैं। यह कार बाद मे फिल्म अभिनेत्री मर्लिन मुनरो को भेंट कर दी गयी थी।

ऑटोस्टेट में छोटी-छोटी नदियां, रेस्तरां, और सिनेमाघर बना कर इसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया गया है जहां बच्चे कारों की दुनियां को आनंद लेते नजर आते हैं।
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यहां शादी के लिए लड़कों का अपहरण होता है!

पटना। आपने अब तक जबरन पैसे वसूलने या कोई पुरानी रंजिश तथा हत्या करने के लिए लोगों को अगवा करने की बात सुनी होगी, परंतु ऐसा शायद ही सुना होगा कि शादी करने के लिए किसी का अपहरण किया गया। बिहार में ऐसा बहुत समय पहले से होता आ रहा है। खास बात यह है कि ऐसी घटनाएं शादी-ब्याह के मौसम में और बढ़ जाती हैं। 

पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष अब तक 359 अविवाहित युवकों का अपहरण शादी के लिए की जा चुका है। आंकड़ों के अनुसार ऐसी घटनाएं राज्य के मुंगेर, गया, नवादा, नालंदा, जहानाबाद, नवगछिया, पटना जैसे क्षेत्रों में अधिक घटती हैं। 

आंकड़ें बताते हैं कि इस वर्ष जनवरी महीने में जहां 87 युवकों को शादी के लिए अगवा किया गया, वहीं फरवरी में 126 ऐसे युवकों का अपहरण किया गया था। मार्च में तो ऐसे युवकों की संख्या बढ़कर 146 तक जा पहुंची। 

सूत्रों का कहना है कि पढ़े-लिखे तथा खाते-पीते परिवार से संबंधित अविवाहित युवकों का लड़कीवाले अपहरण कर लेते हैं और फिर इनका जबरन विवाह करा दिया जाता है। 

बताया जाता है कि जब सब कुछ निपट जाता है तब लड़के के परिजनों को आशीष देने के लिए खबर की जाती है। ऐसे में कई शादियां सफल भी हो जाती हैं, तो कई बुरी तरह नाकाम हो जाती हैं।

पुलिस विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि ऐसे में लड़के के परिजन तो अपहरण का मामला थाने में दर्ज करवाते हैं, परंतु जब जांच होती है तो पता चलता है कि यह अपहरण विवाह के लिए किया गया। ऐसे में पुलिस के पास भी बहुत कुछ करने के लिए नहीं रह जाता है। 

इधर, पटना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर भारती एस. कुमार इस मसले पर कहती हैं कि इसका प्रचलन मुख्य रूप से उत्तर बिहार में है। वे ‘आईएएनएस’ से स्पष्ट कहती हैं कि ऐसे विवाह से अभिभावक तो अपनी लड़कियों का विवाह कर मुक्त हो जाते हैं, परंतु इस बेमेल विवाह का नकारात्मक प्रभाव पति-पत्नी को जीवन भर भुगतना पड़ता है।  

इस बेमेल विवाह के कारण उन परिवारों का संतुलित विकास भी नहीं हो पाता, क्योंकि जीवन भर उस लड़की को ताने सुनना पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं का मुख्य कारण दहेज तथा जाति-बिरादरी में अच्छे और कमाऊ लड़कों की कमी है।


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बिना एड्रेस के चलेगा इंटरनेट

http://scrapetv.com/News/News%20Pages/Technology/images/microsoft-internet-explorer-8.jpgमास्को। किसी साइट का एड्रेस तलाशने में अगर आप को खासी मशक्कत करनी पड़ती है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है जल्द ही इंटरनेट की दुनिया बिना एड्रेस के चलेगी। दुनिया भर की साइट्स के लिए आईपी देने वाली संस्थान आईसीएएनएन के मुख्य कार्यकारी रोड बेकस्ट्रॉम का कहना है कि अब केवल 8 से 9 फीसदी ही आपीवी4 एड्रेस बचे हैं। जबकि मांग में लगातार बढ़ोतर हो रही है। 

जल्द ही कंपनियों को नए आईपीवी 6 मानक की जरूरत पडेगी। एक साक्षात्कार में बेकस्ट्रॉम ने कहा कि नेट इतनी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है कि सारे संसाधन कम पड़ रहे हैं। आईपीवी4 1980 से चल रहे इंटरनेट के लिए आईपी दे रहा है। इसकी क्षमता कुछ बिलीयन थी लेकिन इस नए उपकरण की क्षमता कई ट्रिलियन की है। उन्होंने बताया कि अनुमान लगाए जा रहे है कि 2020 तक नेट उपभोक्ता पचास बिलीयन से ज्यादा हो जाएंगे।

ग्लोबल हो जाएगा नेट

अब तक सभी डोमेन सिर्फ लैटिन में होते थे लेकिन अब इस नए उपकरण में अन्य भाषाओं में भी डोमेन हासिल किए जा सकेंगे। 
बेकस्ट्रॉम का कहना है कि मास्को में आघिकारिक रूप से क्रिलिक अल्फाबेट के नाम से दुनिया का पहला डोमेन शुरू कर दिया गया। इस आईसीएएनएन ने प्रामणिकता दे दी है। रूस के अलावा इजिप्ट, सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी अपनी राष्ट्रीय भाषा में आईसीएएनएन से डोमेन की प्रामणिकता हासिल कर चुके है। यह काफी बड़ी उपलब्घि है। 

इंटरनेट को प्रचलन में आए करीब चार दशक हो चुके हैं। लेकिन पहली बार लोगों की मूल भाष्ाा और लिपि में डोमन दिए जा रहे हैं। करीब 21 देशों के आवेदन इसके लिए कतार में है। 11 वर्षो में विकसित इस नई तकनीक के जरिए लोगों को नेट पर नई भाषाएं सीखने में तो मदद मिलेगी ही साथ ही जो लोग अपनी मातृ भाषा के अलावा अन्य भाषाएं नहीं जानते उनके लिए इंटरनेट का इस्तेमाल आसान हो जाएगा।
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अब टमाटर में मिलेगी गुलाब की महक

लखनऊ। टमाटर में यदि गुलाब की खुशबू मिले तो चौंकिएगा नहीं क्योंकि वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऎसी प्रजाति विकसित कर ली है जिसमें स्वाद तो टमाटर का मिलेगा लेकिन सुगन्ध गुलाब की होगी। केन्द्रीय औषधीय एवं सुगन्ध पौध संस्थान (सीमैप)में औषधीय पौधों पर यहां हो रही अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में टमाटर की इस प्रजाति का पता चला है। 

इजराइल से आए वनस्पति वैज्ञानिक डॉ लेवीनशान ने कहा कि गुलाब के समान सुगन्ध वाले टमाटर की प्रजाति विकसित की गई है। खाने में इसका स्वाद आम टमाटर की तरह ही होगा लेकिन इसमें खुशबू फूलों के राजा गुलाब की होगी। उन्होंने कहा कि अब इसे बाजार में उतारने की जरूरत है। बाजार में आते ही इसकी मांग की पूर्ति कर पाना मुश्किल होगा। 

गोष्ठी के दूसरे दिन कल जर्मनी के प्रोफेसर हार्टमट ने बताया कि जीवाणुओं द्वारा विभिन्न प्रकार के अत्यधिक जैव क्रियाशील मेटाबोलाइटस बनाए जाते हैं। इसमें स्पंज का अत्यधिक महत्व होता है क्योंकि उसमें 50 प्रतिशत से अधिक जीवाणु पाए जाते हैं। जीवाणुओं के मेटाबोलाइट उत्पादन में योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब बहुत से ऎसे उदाहरण मौजूद हैं जहां पर कई 
जैव क्रियाशील यौगिक पौधों एवं सूक्ष्म जीवों से बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में टेंक्सॉल सबसे पहला उदाहरण है।

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बिना पानी के वाशिंग मशीन में धुलेंगे कपड़े

लंदन। अब वो दिन दूर नहीं जब कपड़ों को बिना पानी के धोया और सुखाया जा सकेगा। ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने पर्यावरण के अनुकूल यानी ईको फ्रेंडली वाश्िाग मशीन तैयार की है। यह न के बराबर पानी के इस्तेमाल से कपड़ों को आम मशीनों की तरह ही साफ करेगी। इसमें आम मशीनों के मुकाबले बहुत कम बिजली और डिटर्जेट की जरूरत पड़ेगी। दक्षिण यार्कशायर के कैटक्लिफी की जीराज कंपनी ने इस मशीन को बनाया है। इस ग्रीन टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से अरबों लीटर पानी की बचत की जा सकेगी। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिल वेस्टवाटर ने कहा, प्रौद्योगिकी के फायदे हमें मिल रहे हैं। यह कपड़े धोने की नई तकनीक बनेगी। इस तकनीक को 30 साल की मेहनत के बाद लीड यूनिवर्सिटी के केमेट्री टेक्सटाइल प्रोफेसर स्टीफन बरकिनशाह ने विकसित किया है। जीरास को इससे सालाना 50 अरब पाउंड [करीब साढ़े चार खरब रुपये] का व्यापार होने की संभावना जताई है। कैलीफार्निया की सिलिकान वैली में शीर्ष कंपनियों उसे आमंत्रित किया है। वेस्टवाटर ने कहा कि कपड़ा धोने की नई प्रणाली को पेश करने का यह बेहतर समय है। यह संभावित भागीदारों के साथ तकनीक के प्रदर्शन का प्रभावशाली स्थान है। जीरास का उद्देश्य साल के आखिर तक इस उत्पाद को बाजार में उतारने का है। सबसे पहले होटलों और लांड्री के इस्तेमाल के उद्देश्य से इसे बाजार में उतारा जाएगा। वेस्टवाटर न कहा तकनीक के सिद्ध हो जाने पर हम घरेलू मशीन का निर्माण कर सकेंगे।


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यह बल्ब जल रहा है 109 साल से!

लंदन। कोई बल्ब कितने दिन तक जल सकता है? अधिकतम तीन-चार साल। ठीक से रखरखाव करने पर यह समय सीमा कुछ समय और बढ़ सकती है। लेकिन कैलिफोर्निया के लिवरमोर के एक अग्निशमन स्टेशन में एक बल्ब पिछले 109 साल से लगातार रोशनी दे रहा है।

 

  सेंटेनियल लाइट के नाम से जाना जाने वाले इस बल्ब को 1901 में लगाया गया था। सबसे ज्यादा दिनों तक जलने वाला बल्ब गिनीज बुक व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में दर्ज हो चुका है।

   इस बल्ब की अपनी एक बेवसाइट भी है जिसमें उसके हजारों चाहने वाले लोगों के नाम दर्ज है। हजारों किमी लोग दूर से लोग इस नन्हें आश्चर्य को देखने आते हैं। इस बल्ब को फ्रांसीसी मूल के वैज्ञानिक एडोल्फ शैले ने डिजायन किया था। सेंटेनियल लाइट जैसे बेहतरीन बल्ब को डिजायन करने के बाद भी शैले को बल्ब के जनक माने जाने वाले थामस अल्वा एडीसन जैसी शोहरत नहीं मिल पाई।

   बल्ब की देखभाल करने वाले स्टीव बन कहते हैं कि सेंटेनियल लाइट इस बात का सूचक है कि पूर्व में आज से बेहतर चीजें बनाई जा चुकी हैं। हालांकि यह बात दीगर है कि ऐसी चीजें दोबारा नहीं बनाई गईं। हमने उच्च वोल्टेज पर कई बल्बों के परीक्षण किए और वे चलते बने। लेकिन शैले के डिजायन किए, इस बल्ब की रोशनी लगातार बढ़ती चली गई।

   हाल ही में बन को आर्कटिक क्षेत्र (उत्तरी ध्रुव) से एक संदेश प्राप्त हुआ है। इसके मुताबिक यह बल्ब दुनिया के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह है जो अंधेरे और निर्जन स्थानों में भी हमारे अंदर प्रकाश का संचार करता है। यह बल्ब तब से जल रहा है जब मेरे दादा-दादी बच्चे थे। यह अपने आप में सुखद है। उल्लेखनीय है कि 1879 में थामस अल्वा एडीसन ने पहली बार फिलामेंट की मदद से लाइट बल्ब बनाया था, जो साढ़े तेरह घंटे जला। हालांकि कुछ महीनों बाद एडीसन ने दूसरा बल्ब बनाया जो 1200 घंटे जला।

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The liquid inside young coconuts can be used as a substitute for

Blood plasma.

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No piece of paper can be folded in half

More than seven (7) times. Oh go ahead...I'll wait...~
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Donkeys kill more people annually

Than plane crashes or shark attacks. (Watch your Ass )
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You burn more calories sleeping


Than you do watching television.

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Oak trees do not produce acorns
Until they are fifty (50) years of age or older.
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The first product to have a bar code


Was Wrigley's gum.

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The King of Hearts is the only king

WITHOUT A MOUSTACHE

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American Airlines saved $40,000 in 1987
By eliminating one (1) olive


From each salad served in first-class.
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Venus is the only planet that rotates clockwise.

(Since Venus is normally associated with women,what does this tell you!)

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Apples, not caffeine,

Are more efficient at waking you up in the morning.

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Most dust particles in your house are made from


DEAD SKIN!
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The first owner of the Marlboro Company died of lung cancer.


So did the first ' Marlboro Man. '

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Walt Disney was afraid

OF MICE!

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PEARLS MELT
IN
 VINEGAR!
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The three most valuable brand names on earth:

Marlboro, Coca Cola, and Budweiser, in that order.
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It is possible to lead a cow upstairs...

But, not downstairs.

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A duck's quack doesn't echo,


And no one knows why.

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Dentists have recommended that a toothbrush
Be kept at least six (6) feet away from

A toilet to avoid airborne particles
Resulting from the flush.

(I keep my toothbrush in the living room now! )
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And the best for last....

Turtles can breathe through their butts.

(I know some people like that, don't YOU?)

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Melbourne, New-age gadgets like Apple's iPads and televisions could soon be rolled up like newspapers, thanks to a new technology being developed by researchers in Australia and Italy.

Researchers at Australia's Commonwealth Scientific and Industrial Research Organisation, Melbourne University and Italy's University of Padua were using laser technology to make products - including televisions, iPads, mobile phones and Kindles - more flexible, thinner and cheaper.

According to mX, the same technology was also being used to develop screens that would replace light bulbs.

The screens would be fastened to a ceiling like wallpaper to light a room.

The researchers were developing prototypes to take to Apple and other manufacturers next year. 


World's Largest Swimming Pool, AMAZING!




If you like doing laps in the swimming pool, you might want to stock up on the energy drinks before diving in to this one.

It is more than 1,000 yards long, covers 20 acres, had a 115 ft deep end and holds 66 million gallons of water.

Yesterday the Guinness Book of Records named the vast pool beside the sea in Chile as the biggest in the world.

But if you fancy splashing out on one of your own - and you have the space to accommodate it - then beware: This one took five years to build, cost nearly $1billion and the annual maintenance bill will be $2million.

The man-made saltwater lagoon has been attracting huge crowds to the San Alfonso del Mar resort at Algarrobo, on Chile's southern coast, since it opened last month.

Its turquoise waters are so crystal clear that you can see the bottom even in the deep end.

It dwarfs the world's second biggest pool, the Orthlieb -- nicknamed the Big Splash -- in Morocco, which is a mere 150 yards long and 100 yards wide. An Olympic size pool measures some 50 yards by 25 yards.

Chile 's monster pool uses a computer-controlled suction and filtration system to keep fresh seawater in permanent circulation, drawing it in from the ocean at one end and pumping it out at the other.

The sun warms the water to 26c, nine degrees warmer than the adjoining sea.

Chilean biochemist Fernando Fischmann, whose Crystal Lagoons Corporation designed the pool, said advanced engineering meant his company could build 'an impressive artifici al paradise' even in inhospitable areas. 'As long as we have access to unlimited seawater, we can make it work, and it causes no damage to the ocean.'

All I can say is WOW!


 

 

 

 

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