गौमूत्र से रोशन होगा जहाआ गया जादुई तकिया!अब मोबाइल भी चार्ज करेंगे जूते!वेलिंगटन। जूते पहनकर चलते-फिरते अगर आपका मोबाइल भी चार्ज हो जाए, तो क्या हर्ज है? वेलिंगटन की एक कंपनी ने ऐसे जूते बनाए हैं, जो पैरों का पसीना तो सोखेंगे, साथ ही पैरों की गर्मी से बिजली पैदा करेंगे। इस बिजली से आप कहीं भी कभी भी अपने मोबाइल को चार्ज कर सकते हैं। इन जूतों को 'आरेंज पावर वैलीज' नाम दिया गया है। इनमें बिजली का उत्पादन करने वाले सोल का इस्तेमाल किया गया है। यह सोल ही पैर की ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदल देंगे। जूतों को न्यूजीलैंड की कंपनी 'आरेंज' ने ऊर्जा उत्पादन करने वाली कंपनी 'गोटविंड' के साथ मिलकर लांच किया। इन जूतों को 12 घंटे पहनकर एक घंटे तक मोबाइल चार्ज करने भर की बिजली पैदा की जा सकती है। यानी आफिस में काम करते समय या फिर सैर सपाटे के दौरान भी इन जूतों से बिजली तैयार की जा सकती है। दरअसल इन जूतों का सोल भौतिक विज्ञान के 'सीबैक' प्रभाव के मुताबिक काम करता है। इस क्रिया में सोल पैरों की ऊष्मा और जमीन की ठंडक को मिलाकर बिजली उत्पन्न करता है। ............................................................................ अब और छोटा हो जाएगा कम्प्यूटरवॉशिंगटन। अमरीकी वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे छोटा ट्रांजिस्टर बनाने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस ट्राजिस्टर के अविष्कार से कम्प्यूटर के आकार को और छोटा करने में मदद मिलेगी। यह ट्रांजिस्टर केवल सात अणुओं से मिलकर बना है। ट्रांजिस्टर का आकार इतना छोटा है कि एक मीटर का केवल एक बिलीयनवां हिस्सा भर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे सामान्य ट्रांजिस्टर की भांति काम में लिया जा सकता है। इस ट्रांजिस्टर में सामान्य ट्रांजिस्टर की भांति में बिजली के प्रवाह को नियंतित्रत किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे बनाने के लिए माईक्रास्कोप का इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि एक अणु को मेनवली जोड़ा गया है। एक क्रिस्टलीय सिलीकॉन के चारों ओर सिर्फ सात परमाणुओं को जोड़कर इसे बनाया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके काम करने की क्षमता काफी अधिक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके जरिए कम्प्यूटर का आकार और छोटा करने में सफलता हासिल की जा सकेगी। ............................................................................ कुत्तों के लिए म्यूजिक कंसर्ट सिडनी। क्या कुत्तों को भी मनोरंजन की आवश्यक्ता होती है? इस सवाल का जवाब तो फिलहाल किसी के पास नहीं है, लेकिन आस्ट्रेलिया में कुत्तों के मनोरंजन के लिए विशेष संगीत समारोह आयोजित किया जा रहा है। राजधानी सिडनी के ओपेरा हाउस में पांच जून को कुत्तों का म्यूजिक कंसर्ट होगा। ..और विश्वास कीजिए कि इसमें बजने वाला संगीत भी खास तौर पर कुत्तों के लिए होगा। इस समारोह में इतनी ऊंची ध्वनि पर संगीत बजाया जाएगा, जिसे केवल कुत्तों के ही कान झेल पाएंगे। आस्ट्रेलियन डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, लारी एंडरसन ने कुत्तों की सुनने की क्षमता के अनुरूप बीस मिनट का यह कार्यक्रम तैयार किया है। कुत्ते इंसानों के कानों की रेंज से ऊपर की ध्वनि को भी सुन सकते हैं। दरअसल यह कार्यक्रम 27 मई से ओपेरा हाउस में शुरू हो रहे विविड लाइफ म्यूजिक फेस्टिवल का ही एक हिस्सा है। यहां रहने वाली एक महिला रेनी रसेल ने कहा कि वह अपने कुत्ते को समारोह में लेकर अवश्य जाएंगी। उन्होंने बताया कि मैं वहां जरूर जाऊंगी। मैं देखना चाहती हूं कि उस दौरान मेरे कुत्ते की प्रतिक्रिया कैसी होती है। कुत्तों के लिए मनोरंजन का साधन जुटाना काफी मुश्किल काम है। वे लोग कुत्तों के लिए कांसर्ट का आयोजन करके काफी नेक काम कर रहे हैं।............................................................................ गैस लीक हुई तो मिल जाएगा एसएमएसभुवनेश्वर। अगर घर से निकलने के बाद भी किचन में गैस लीक होने का डर आप के मन से निकल नहीं रहा है तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक ऎसी नई तकनीक विकसित की गई है जिसके जरिए आपके किचन में गैस लीक होते ही आपको एसएमएस मिल जाएगा। आप चाहे घर में है या बाहर। कुछ भी गलत होते ही आपका मोबाइल इस खतरे से आपको आगाह कर देगा इतना ही नहीं सिलेण्डर का स्विच ऑफ करने के लिए भी आपको घर भागने की जरूरत नहीं घर में रोबोट निर्देश मिलते ही यह काम कर देगा। भुवनेश्वर की एक कंपनी ने इसे विकसित किया है। कंपनी के सीईओ कुशाल नाहटा का कहना है कि इससे आम आदमी के जीवन सरल और सुरक्षित बन सकेगा। उनके मुताबिक हर साल रसोई गैस लीक के कारण 7000 लोगों की मौत हो जाती है। इस रोबोटिक उपकरण के जरिए गैस लीक की जानकारी मिलने के बाद सिलेण्डर को स्वीच ऑफ किया जा सकता है। कंपनी रोबोट का सैन्य, चिकित्सा, उपभोक्ता और ओद्यौगिक जगत में इस्तेमाल करने प्रयोग कर रही है। इसके अलावा कंपनी ने फार आई नाम का उपकरण भी बनाया है जिससे घर से दूर रहते हुए घर की वीडियो क्लिप्स आपको मिलते रहेंगे. ............................................................................ सिर के इशारे पर काम करेगा कंप्यूटरग्रेटर नोएडा कंप्यूटर में माउस बिना काम करना असहज बन जाता है। लेकिन जो लोग किसी दुर्घटनावश अपने हाथ या उंगली गवां देते हैं उनके लिए कंप्यूटर पर काम करना सहज नहीं होता। लेकिन, नॉलेज पार्क के स्काई लाइन कॉलेज के दो छात्रों की एक रिसर्च ने हाथ से विकलांग लोगों के लिए बिना माउस कंप्यूटर के उपयोग को सहज बना दिया है। ऐसे लोग अपने सिर व आंखों की मदद से कंप्यूटर के कर्सर को कंट्रोल कर सकेंगे। इस रिसर्च को अंजाम दिया है बीटेक कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष के छात्र अतुल राय व अखिलेश अग्रवाल ने। अतुल व अखिलेश की इस रिसर्च को फ्रांस में आईपीटीए 10 कांफ्रेस में भेजा था। जहां इंस्टीटयूट ऑफ इलेक्ट्रीकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर ने उसे सराहा है। अतुल पांच जुलाई को फ्रांस में रिसर्च पेपर पेश करेगा। अब रोबोट बमों को निष्क्रिय करेगानई दिल्ली। राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने से पहले ही दिल्ली पुलिस बमों का पता लगाने और उसे निष्क्रिय करने के मकसद से एक मिनी रिमोट-ऑपरेटिंग वाहन (एमआरओवी) खरीदेगी। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने बताया, "हमने बुधवार को एमआरओवी का तकनीकी मूल्यांकन किया। रोबोट को खरीदने की यह पहली प्रक्रिया है।" उन्होंने कहा, "अभी बोली लगाना बाकी है। हमें पूरा विश्वास है कि राष्ट्रमंडल खेल के पहले ही उसे खरीद लिया जाएगा।" एमआरओवी को बनाने वाली कंपनी कनाडा की है। इसका मुख्य काम छिपाए गए बमों का पता लगाना और उसे निष्क्रिय करना है। रोबोट का वजन 65 किलोग्राम है और इसे 500 मीटर की दूरी से नियंत्रित किया जा सकता है। यह 113 किलोग्राम का भार भी उठा सकता है। एमआरओवी के पास हाथ, कंधे हैं और उसमें चार कैमरे भी लगे हैं। यह किसी भी मौसम में काम कर सकता है, लेकिन इसे आग से दूर रखना होता है। ............................................................................ ३२ दिग्गजों की टीम रिसर्च कर रही हैं ८२ साल के भाईजानी पर७५ साल से बगेर खाए - पिए जिंदा है भाईजानीअहमदाबाद।। प्रह्लाद भाई जानी की उम्र 82 साल है और लोग उन्हें माताजी कह कर बुलाते हैं। सामान्य बुजुर्ग से दिखने वाले इस शख्स में ऐसा क्या है कि मेडिकल साइंस समेत पूरी दुनिया के लिए यह अजूबा बन पड़ा है। खाए-पिए किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह जिन्दा रह रहे हैं। आठ साल की उम्र से प्रह्लाद ने खाना पीना छोड़ दिया था और आज तक किसी भी रूप में अन्न- जल उन्होंने मुंह के अंदर नहीं लिया है। तमाम रिसर्च और निगरानी के बावजूद डॉक्टर इस शख्स की सोर्स ऑफ एनर्जी का राज नहीं जान पाए हैं।
किया। 32 दिग्गजों की टीम प्रह्लाद जानी पर रिसर्च कर रही है। टीम में स्टर्लिंग हॉस्पिटल के न्यूरॉलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर शाह के साथ 25 दिग्गजों शामिल हैं और डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी ऐंड अलाइड साइंस (DIPAS)के सात वैज्ञानिक हैं। ............................................................................ ............................................................................ ............................................................................ ............................................................................
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गंगा को बचाने की मुहिम धरती के लिए बार-बार अपनी जान जोखिम में डालने वाले संत का नाम है डॉ. जीडी अग्रवाल। जीडी अग्रवाल इंजीनियर रहे हैं और आईआईटी कानपुर में इन्होंने कई साल इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाया भी है। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बार्कले से पीएच.डी की डिग्री हासिल की है। नौकरी छोड़कर वे धरती बचाने की मुहिम में लग गए। गंगा को बचाने के लिए डॉ. अग्रवाल ने लंबी लड़ाई लड़ी है। वे उत्तराखंड सरकार से भी कई बार टकरा चुके हैं। भैरों घाटी और पाला-मनेरी जल-ऊर्जा परियोजनाओं पर रोक लगाने और गंगोत्री से उत्तरकाशी तक भागीरथी गंगा के संरक्षण के लिए उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2008 में उन्होंने पहली बार उत्तरकाशी में धरना दिया था। सरकार झुकी और भैरों घाटी और पालामनेरी प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी गई। इसके बाद गंगा को बचाने के लिए उन्होंने फिर डेढ़ महीने का अनशन किया। डॉ. अग्रवाल गंगा को अपनी मां मानते हैं और गंगा को बचाने के लिए वे कई बार अनशन पर बैठे। 76 साल के डॉ. जीडी अग्रवाल कहते हैं- मैं गंगा मां की 'हत्या' होते नहीं देख सकता। मैं असहाय नहीं हूं, जब तक जिंदगी है, धरती, गंगा और पर्यावरण को बचाने के लिए लड़ता रहूंगा। .............................................................................................................................................. ताइवान की एक अति विनम्र और दयालु सब्जी बेचने वाली मिस चेन सू चू में ऎसी क्या खास बात है कि एक सामान्य सब्जी विक्रेता होते हुए टाइम मैगजीन ने उन्हे रोल मॉडल चुनकर 100 लोकहितैषी लोगों में शुमार किया है। द रीडर्स डाइजेस्ट ने गत वर्ष नवम्बर में एशियन ऑफ द ईयर घोषित किया है। फोब्र्स मैगजीन ने उसे एशिया-प्रशांत रीजन के 48 प्रमुख समाजसेवियों में स्थान दिया है। मिस चेन दिन रात सब्जियां बेचने में इसलिए तल्लीन रहती हैं, ताकि दूसरों के भविष्य व जिंदगी को बेहतर बनाया जा सके। उन्होंने अब तक कई मिलियन डॉलर गरीब, बेसहारा, कमजोर लोगों के लिए दान कर दिए हैं। चेन कभी फंड या डोनेशन नहीं लेतीं। मिस चेन रात 2.30 बजे उठकर वेजीटेबल होलसेलर के पास पहुंच जाती है और सुबह 4-5 बजे तक अपनी स्टॉल को जमा लेती हैं। फिर यह कार्य रात 9 बजे खत्म होता है। न्यूयॉर्क में टाइम मैगजीन द्वारा सम्मान प्राप्त करने जाते समय राष्ट्रपति मा यिंग जीऊ से उनकी व्यक्तिगत भेंंट हुई। वित्तमंत्री ने भी उन्हें साथ चलने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने विनम्रता से इनकार कर दिया। वह कहती हैं कि मैं यह सब जीतने के लिए नहीं कर रही हूं। उनके अवार्ड न लेने जाने की एक ही वजह थी कि उनके रेगुलर ग्राहक सब्जी नहीं ले पाएंगे। इतनी लोकप्रियता होने के बाद भी वे अति विनम्रता के साथ कहती हैं, मैंने असाधारण कुछ भी नहीं किया है। अपने बचपन के कठिन दिनों की वजह से हर गरीब की जरूरत को महसूस करती हूं। 1950 में जन्मी चेन ने प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करते ही अपनी मां को खो दिया। अस्पताल में होने के बावजूद पैसे के अभाव में मां की मृत्यु हो गई। मिस चेन ने पड़ौसियों को पैसे उधार देने के लिए कहा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। परिवार में सबसे बड़ी होने की वजह से सारा ध्यान परिवार की तरफ लगाना पड़ा, इसलिए पढ़ाई छूट गई। और सारा ध्यान सब्जी की दुकान की तरफ लगा दिया। जब अठारह साल की थी, तब भाई की भी बीमारी से मृत्यु हो गई। उनकी प्राइमरी स्कूल की टीचर मि. हॉन्ग शुंग जॉंग ने इन्हें सहायता भेजी, लेकिन दुर्भाग्य से वे अपने भाई को बचा नहीं सकीं। अपने परिवार की दयनीय स्थिति को देखने के बाद मिस चेन ने सक्षम होते ही गरीबों की सहायता करने का संकल्प लिया। सन् 2000 में उन्होंने रेन ए प्राइमरी स्कूल को आपात सहायता के लिए 1 मिलियन डॉलर सहायता दी। उन्होंने सिर्फ गरीबों की सहायता पर पूरा ध्यान लगाने के लिए शादी नहीं की। उनके दान का सिलसिला थमा नहीं। 2001 में स्कूल टीचर मि. ली को स्कूल में एक लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए चार से पांच मिलियन डॉलर की जरूरत थी। उन्होंने चेन से 50 हजार डॉलर का सहयोग देने के लिए कहा। लेकिन ली यह जानकर हैरान रह गए कि वह तो पूरा फंड देने को तैयार थी। मई 2005 में दो मंजिला लाइब्रेरी तैयार भी हो गई। उनसे जब इतना सारा धन डोनेट करने के बारे में पूछा जाता है, कि तुम कैसे सब्जी की दुकान से कमा लेती हो, तो उनका जवाब सीधा सा होता है, तुम अपना खर्च करने की आवश्यकता कम कर लो या उतना ही खर्च करो, जितनी न्यूनतम आवश्यकता है, तो तुम खूब सारा धन कमा सकते हो। उन्होंने 1996 में किड्स अलाइव इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन को तीन बच्चों की मदद करने के लिए 36 हजार डॉलर की सहायता दी। मिस चेन अपनी जिंदगी बिना किसी ऎशोआराम के बिताती हैं। वे खुशी से कहती हैं कि मैं एक दिन में 16 घंटे काम करने में सक्षम हूं। भोजन और सोने की जगह के अलावा जो कुछ भी है, वह विलासिता का साधन है। वे कभी महंगे कपड़े नहीं खरीदती। हमेशा कठोर फर्श पर सोती हैं। मिस चेन का अगला लक्ष्य गरीब बच्चों के लिए एक कॉलेज खोलना है, जिसके लिए उन्हें 10 मिलियन डॉलर की आवश्यकता है। वे कहती हैं, इसके लिए मुझे और अधिक सब्जियां बेचने की जरूरत है। लोग उनसे पूछते हैं कि वे कठोर परिश्रम से कमाई को इतनी आसानी से कैसे दान कर देती हैं, तो उनका जवाब होता है, जिंदगी बहुत छोटी सी है, पता नहीं कब मौत आ जाए, फिर जो मैंने कमाया है वह किस काम आएगा। कम से कम ढेरों गरीब, अनाथ, बेसहारा लोगों के चेहरों पर मुस्कान तो लौट रही है। पैसे का इससे बेहतर इस्तेमाल और क्या हो सकता है। लंदन। ब्रिटेन के एक चित्रकार को देख कर अगर कहें कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ चित्रकार माने जाने वाले स्पेन के पाब्लो पिकासो का पुनर्जन्म हुआ है, तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए। ब्रिटेन के इस सात वर्षीय चित्रकार का नाम है कीरोन विलियमसन। चित्रकारी की दुनिया में इस बच्चे ने जबरदस्त धूम मचा रखी है। इस जूनियर पिकासो ने महज आधे घंटे के अंदर अपनी पेंटिंग्स को बेचकर डेढ़ लाख पाउंड (करीब दो करोड़ रुपये) कमा लिए। -दूर-दूर से लगी बोलियां : सप्ताहांत में बिकी विलियमसन की 33 पेंटिंग्स को खरीदने में दुनिया भर के लोगों ने रुचि दिखाई। उसकी पेंटिंग्स को खरीदने के लिए एरिजोना, न्यूयॉर्क, दक्षिण अफ्रीका समेत दूर-दूर से लोग आए। कई लोगों ने फोन पर भी बोलियां लगाई। विलियमसन ने अपने गृह नगर नॉरफॉक के होल्ट इलाके में तीन दिन तक यह प्रदर्शनी लगाई। इस प्रदर्शनी में उसकी ऑयल और वाटरकलर पेंटिंग्स को रखा गया। उसकी सबसे महंगी पेंटिंग का नाम है सनराइज एट मोर्सटन। यह करीब छह लाख रुपये में बिकी। दूसरे नंबर पर उसकी पेंटिंग की कीमत थी पांच लाख रुपये। दो साल पहले तक विलियमसन अपने माता-पिता की मदद से केवल डायनासोर के चित्र बनाता था। लेकिन जब से वह परिवार के साथ तटीय इलाके कार्नवैल में छुट्टियां मनाने गया, तब से बंदरगाह और पानी में तैरते जहाजों के चित्र बनाने लगा। पहली प्रदर्शनी उसने छह साल की उम्र में लगाई थी। उस दौरान उसकी 19 पेंटिग्स ने दस लाख रुपये की कमाई की थी। उसके बाद पिछले साल नवंबर में भी उसकी 16 पेंटिंग्स महज 14 मिनट में बिक गई थी। .................................................................................................................................................... एलियन ने किया अंतरिक्ष यान का अपहरण!वाशिंगटन । पिछले दिनों लोकप्रिय वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने चेतावनी दी थी कि पृथ्वी वासियों को एलियन से संपर्कसाधने की कोशिशें बंद करनी चाहिए क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। अब एक उड़नतश्तरी विशेषज्ञ का दावा है कि एलियन ने अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक अंतरिक्षयान का अपहरण कर लिया है। इस विशेषज्ञ का कहना है कि एलियन वाएजर-दो यान का इस्तेमाल पृथ्वी से संपर्क स्थापित करने में कर रहे हैं। मानवरहित वाएजर-दो 1977 से अंतरिक्ष में है। बीते कुछ समय से वह अजीबोगरीब संदेश भेज रहा है। इससे वैज्ञानिक भ्रमित हैं। उड़नतश्तरी पर किताब लिखने वाले जर्मनी के हार्टविग हासडार्फ का मानना है कि यान का नियंत्रण दूसरे ग्रह के प्राणियों ने अपने हाथ में ले लिया है। अंतरिक्ष में भेजे जाने के बाद से वोएजर-दो वैज्ञानिकों के अध्ययन के लिए पृथ्वी पर काफी आंकड़े भेजता रहा है। लेकिन इस साल 22 अप्रैल और उसके बाद भेजी गई कई सूचनाएं काफी अजीबोगरीब थीं। नासा का दावा है कि साफ्टवेयर में आई किसी समस्या के कारण ऎसा हुआ है। अंतरिक्ष यान के बाकी हिस्से सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। लेकिन हासडार्फ का मानना है कि यह एलियंस का काम है। जर्मन अखबार बिल्ड ने उनके हवाले से कहा, ऎसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने अंतरिक्षयान का अपहरण कर लिया है या फिर उस पर नए तरीके से काम करना शुरू किया है। लेकिन हम अभी सच नहीं जान पाए हैं। जानकारों के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की बातें सामने आईं हों। कुछ दिनों पहले भी यह कहा गया था कि ब्रिटेन के एक पायलट ने यूएफओ का पीछा किया जिसमें एलियन भी थे। घटना के कुछ ही देर बाद ब्रिटिश विमानन सेवा ने इस तरह की खबरों का खंडन कर दिया। अब चंद दिनों में यह दूसरा वाकया पेश आया है। .............................................................................................................................................................. Melbourne, New-age gadgets like Apple's iPads and televisions could soon be rolled up like newspapers, thanks to a new technology being developed by researchers in Australia and Italy. Researchers at Australia's Commonwealth Scientific and Industrial Research Organisation, Melbourne University and Italy's University of Padua were using laser technology to make products - including televisions, iPads, mobile phones and Kindles - more flexible, thinner and cheaper. According to mX, the same technology was also being used to develop screens that would replace light bulbs. The screens would be fastened to a ceiling like wallpaper to light a room. The researchers were developing prototypes to take to Apple and other manufacturers next year. World's Largest Swimming Pool, AMAZING!
All I can say is WOW!
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