ADVT.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 अखरोट खाएं, तनाव दूर भगाएं

अगर आप तनाव दूर करना चाहते हैं तो अखरोट खाएं। अखरोट से तनाव दूर तो होता ही है साथ ही साथ कोलेस्ट्राल को कम कर रक्तचाप को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। यदि आप चाहते हैं कि तनाव आपसे कोसों दूर रहे तो अखरोट खूब खाएं। जिन लोगों में खराब प्रकार का कोलेस्ट्रॉल होता है उनका रक्तचाप अधिक होता है और उन्हें तनाव की भी शिकायत रहती है। ऐसे लोग यदि तीन सप्ताह तक खूब अखरोट खाएं तो इससे तनाव की स्थिति में भी उनका रक्तचाप कम ही रहता है।

एक नए अध्ययन में यह बात स्पष्ट हुई है। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों से तीन मिनट तक भाषण देने या ठंडे पानी में एक पैर डुबोनो के लिए कहा गया। ये दोनों ही स्थितियां तनाव पैदा करती हैं।

सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के पेन स्टेट विश्वविद्यालय की अध्ययनकर्ता शीला वेस्ट कहती हैं कि जिन लोगों ने अखरोट खाए थे,उनका रक्तचाप कम था।

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'मधुमेह रोग के लिए जागरूकता'

मधुमेह रोग आज सबसे व्यापक रोग के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। शायद ही कोई होगा जो ‘डायबिटिज’, ‘मधुमेह’, ‘शुगर’ की बीमारी से अपरिचित हो। ऐसा भी नहीं कि यह बीमारी प्राचीन युग में नही थी !मधुमेह के मरीज को बार-बार प्यास लगतीहै। मुंह का स्वाद मीठा रहने लगता है। ज्यादा और बार-बार भोजन करने पर भी वजन घटने लगता है। नेत्र ज्योति पर असर पड़ता हैऔर त्वचा रूखी तथा खुरदरी हो जाती है। मूत्र के स्थान पर चींटियां एकत्र होने लगती हैं। पैरों की उंगलियों में जख्म होजाते हैं, जो जल्दी नहीं भरते हैं तथा हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगते हैं। यौन शक्ति में भी कमी आ जाती है। किसी व्यक्ति को मधुमेह है या नहीं, यह खून में शर्करा की मात्रा से पता लगाया जा सकता है। भोजन करने के लगभग दो घंटे बाद व्यक्ति का ब्लड शुगर 110 से 140 और खाली पेट 80 से 110 के बीच होना चाहिए

 

आइये वर्तमान इतिहास में झाँक कर देखें कि इस बीमारी के बारे में लोगों की जानकारी और धारणायें क्या थीं। इस हेतु हम इतिहास को तीन खण्डों में बाँट कर चलते हैं-

1. प्राचीन युग (600 ए.डी. तक)

इस बीमारी का लिखित प्रमाण 1550 ई.पू. का मिलता है। मिस्र में ‘पापइरस कागज’ पर इस बीमारी का उल्लेख मिलता है, जिसे जार्ज इबर्स ने खोजा था, अतः इस दस्तावेज को ‘इबर्स पपाइरस’ भी कहते हैं। दूसरा प्राचीन प्रमाण ‘कैपाडोसिया के एरीटीयस द्वारा दूसरी सदी का मिलता है। एरीटीयस ने सर्वप्रथम ‘डायाबिटिज’ शब्द का प्रयोग किया, जिसका ग्रीक भाषा में अर्थ होता है ‘साइफन’। उनका कहना था कि इस बीमारी में शरीर एक साइफन का काम करता है और पानी, भोजन, कुछ भी शरीर में नहीं टिकता ओर पेशाब के रास्ते से निकल जाता है, बहुत अधिक प्यास लगती है और शरीर का मांस पिघल कर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। 400-500 ई.पू. के काल में भारतीय चिकित्सक चरक एवं सुश्रुत ने भी इस बीमारी का जिक्र अपने ग्रन्थों में किया है। संभवतः उन्होंने सर्वप्रथम इस तथ्य को पहचाना कि इस बीमारी में मूत्र मीठा हो जाता है। उन्होंने इसे ‘मधुमेह’ (शहद की वर्षा) नाम दिया। उन्होंने देखा कि इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के मूत्र पर चीटियाँ एकत्रित होने लगती हैं।

नया अन्न, गुड़, चिकनाई युक्त भोजन, दुग्ध पदार्थों का अत्यधिक सेवन, घरेलू जानवरों का मांस भक्षण, मदिरा सेवन एवं विलासपूर्ण जीवन शैली इस रोग के जनक होते हैं। अल्पाहार, शारीरिक श्रम, शिकार करके मांस भक्षण करना आदि उपाय बताये गये हैं। आप कहेंगे कि यह बातें आज भी उतनी ही सत्य है। फर्क इतना है तब पैनक्रियाज एवं इंसुलिन की जानकारी नहीं थी। एरीटीयस एवं गेलन समझते थे विकार गुर्दों में आ जाता है, और यह विचार करीब 1500 वर्षों तक कायम रहा।

 

2. मध्य-युगीन काल (600-1500 ए.डी.)

इस काल में मुख्य रूप से रोग के लक्षणों का और विस्तार से वर्णन मिलता है। चीन के चेन-चुआन (सातवीं सदी) और अरबी चिकित्सक एवीसेना (960-1037 ए.डी.) ने गैंग्रीन एवं यौनिक दुर्बलता का जिक्र जटिलताओं के रूप में किया है।

 

3. आधुनिक काल (1500-2010 ए.डी.)

इस काल में रोग के जानने के लिए तमाम प्रयास शुरू हुए। थामस विलिस (1674-75 ए.डी.) ने पुनः मूत्र के मीठेपन को उजागर किया। किन्तु इस मिठास का कारण शर्करा को न मान कर किसी और तत्व को माना। करीब सौ साल बाद 1776 में मैथ्यू डॉबसन ने मधुमेह रोगी के मूत्र को आँच पर वाष्पित कर भूरे चीनी जैसा तत्व अलग किया। उन्होंने यह भी पाया कि रक्त सीरम भी मीठा हो जाता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कलेन (1710-90) ने डायबिटिज में ‘मेलाइटस’ शब्द को जोड़ा। ‘मेल’ का अर्थ ग्रीक भाषा में शहद होता है। इस प्रकार एरीटीयस द्वारा दिये गये शब्द ‘डायबिटिज’ (साइफेन) एवं कलेन द्वारा दिये गये शब्द ‘मेलाइटस’ के संगम से, दो हजार वर्षों से अधिक काल के बाद इस बीमारी का वर्तमान नाम ‘डायबिटिज मेलाइटस’ वजूद में आया। 1850-1950 तक का काल काफी महत्वपूर्ण काल माना जाता है। इस काल में लोगों को वैज्ञानिक सोच में व्यापक बदलाव आया और रोग के मूल कारण को जानने के तीव्र प्रयास हुए। यह दौर ‘प्रयोगिक-विज्ञान का दौर था। तथ्यों एवं परिकल्पनाओं को प्रयोगशालाओं में प्रमाणित करके उसे सत्यापित करने के प्रयास शुरू हुए। 1879 में पॉल लैंगर हेन्स ने सर्वप्रथम अपने शोधपत्र में पैनक्रियाज ग्रन्थि के कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाओं का जिक्र किया जो छोटे-मोटे द्वीप-समूहों में बिखरे रहते हैं। वॉन मेरिंग एवं मिनकोविस्की ने सन् 1889 में दो कुत्तों का पैनक्रियाज ग्रन्थि शल्य क्रिया द्वारा निकाल दिया। अगले ही दिन उन्होंने पाया कि कुत्तों में मधुमेह के लक्षण (बहुमूत्र) उत्पन्न हो गये और उनके मूत्र परीक्षण में शर्करा पाया गया। इस प्रकार वह यह साबित करने में सफल हुए कि मधुमेह का सम्बन्ध गुर्दों से न होकर पैनक्रियाज ग्रन्थि से है। उन्होने देखा कि यदि पैनक्रियाज ग्रन्थि का टुकड़ा स्थापित कर दिया जाये तो जब तक यह टुकड़ा जीवित रहता है, मधुमेह के लक्षण गायब हो जाते हैं। आगे चल कर लैग्यूसे ने यह विचार दिया कि पैनक्रियाज ग्रन्थि में लैंगरहेन्स द्वारा वर्णित कोशिकायें किसी ऐसे तत्व का स्राव करती हैं जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है। बाद में जीन-डी0 मेयर ने इस तत्व का नाम ‘इंसुलिन’ रखा। इस इन्सुलिन नामक तत्व को पैनक्रियाज से अलग करने के प्रयास में कई वैज्ञानिक समूह लगे हुए थे। अन्ततः कनाडा के हड्डी रोग विशेषज्ञ फ्रेडरिक बैटिंग, टोरंटो विश्वविद्यालय के क्रिया-विज्ञान के प्रोफेसर जे0 जे0 आर मैकलियाड, मेडिकल छात्र चाल्र्स बेस्ट एवं बॉयोकेमिस्ट जेम्स कॉलिप ने 1921 में इसमें सफलता पाई। पैनक्रियाज ग्रन्थि द्वारा निकाले गये इस पहले निचोड़ को 11 जनवरी 1922 को लीयोनार्ड थाम्पसन नामक रोगी को दिया गया। इसके बाद इन्सुलिन को शुद्ध और परिष्कृत करने का दौर चला और आज हमें जिनेटिक इन्जीनियरिंग द्वारा ‘मानव इन्सुलिन’ उपलब्ध है। एक बार इन्सुलिन की जानकारी होने के पश्चात्, शरीर द्वारा इसके निर्माण, नियंत्रण, कार्यविधि, आदि पर तमाम शोधकार्य शुरू हुए और आज भी जारी है। इन शोधों के फलस्वरूप पैनक्रियाज ग्रन्थि पर कार्य कर इंसुलिन का स्राव कराने वाली दवायें, इंसुलिन रिसेप्टर एवं उन पर कार्य करने वाली दवाओं का अविष्कार किया गया। इन दवाओं के पहले इलाज का एकमात्र रास्ता भोजन में व्यापक फेरबदल एवं शारीरिक श्रम था और इनके निष्प्रभावी होने पर धीरे-धीरे घुल कर मरने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं होता था। अब यदि जीवन शैली परिवर्तन एवं भोजन परिवर्तन के बाद मधुमेह नियंत्रण में नहीं आता है तो हमारे पास तमाम दवायें हैं और जब वह भी निष्प्रभावी हो जाती हैं तो रामबाण के रूप में हमारे पास इंसुलिन होता है जो कभी विफल नहीं होता। इस प्रकार हम देखते हैं कि करीब पिछले साढ़े तीन हजार साल से मनुष्य ने इस बीमारी पर विजय पाने के लिये कितने प्रयास किये हैं।

मधुमेह के परीक्षण

परीक्षण के निम्नलिखित प्रकार के और अधिक:

रात भर उपवास के बाद

• परीक्षण रक्त शर्करा () 100-125 मिलीग्राम के बीच रक्त शर्करा उपवास / एल (5.6-6.9 mmol / एल) prediabetes माना जाता है !

• मौखिक शर्करा सहिष्णुता टेस्ट: रक्त रातोंरात, जिसके बाद रोगी पेय एक ग्लूकोज समाधान युक्त, रक्त परीक्षण दो घंटे के बाद उपवास के बाद तैयार की है ! 140 मिलीग्राम से नीचे रक्त शर्करा / डेली (8.7 / एल) सामान्य रूप में देखा जाता है mmol,

रक्त ग्लूकोज का स्तर 140-199 / (एल 8.7-11 mmol / एल) prediabetes की निशानी या तथाकथित मिलीग्राम है "

बिगड़ा ग्लूकोज सहनशीलता (IGT). रक्त ग्लूकोज स्तर 200 मिग्रा / डेली (1.11 mmol / एल) या उच्च मधुमेह है.

 

मधुमेह में ज्‍योतिषीय प्रभाव:

उपचारों का विकास तो इसपर विश्‍वास होने या इस क्षेत्र में बहुत अधिक अनुसंधान करने के बाद ही हो सकता है। अभी तो परंपरागत ज्ञानों की तरह ही ज्‍योतिष के द्वारा किए जाने वाले उपचारो को बहुत मान्‍यता नहीं दी जा सकती , पर ग्रहों के प्रभाव के तरीके को जानकर अपना बचाव कर पाने में हमें बहुत सहायता मिल सकती है।

 

सुविधाभोगी जीवनशैली:

आधुनिक सुविधाभोगी जीवनशैली ने जिन अनेक बीमारियों को जन्म दिया है, उनमें मधुमेह भी एक है। मधुमेह के मरीजों की संख्या जिस तेजी के साथ बढ़ती जा रही है, उससे इस बीमारी के महामारी का रूप लेने का खतरा पैदा हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (आईडीएफ) द्वारा इस साल प्रकाशित मधुमेह एटलस के अनुसार भारत में 2009 में अनुमानित पांच करोड़ व्यक्ति मधुमेह केमरीज थे और 2025 तक इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या बढ़कर सात करोड़ हो जाने का अनुमान है। इस तरह विश्व में मधुमेह का मरीज हर पांचवां व्यक्ति भारतीय होगा। मधुमेह एटलस के अनुसार विश्व में 2030 तक मधुमेह के मरीजों की संख्या भारत के अलावाचीन और अमेरिका में सबसे ज्यादा होगी। अमेरिकी मधुमेह संघ के इस साल जारी आंकडों के मुताबिक अमेरिका में दो करोड़ साठ लाख बच्चे और वयस्क मधुमेह के मरीज हैं, जो वहां की आबादी का 7.8 प्रतिशत है। अमेरिका में अनुमानित एक करोड़ 79 लाख लोगों मेंमधुमेह का पता लगा है जबकि चार में से एक व्यक्ति, 57 लाख, लोगों को पता ही नहीं था कि उन्हें मधुमेह है। भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए समय रहते इस पर काबू पाने की जरूरत है। इसमें किसी भी तरहकी ढिलाई से यह बीमारी महामारी का रूप ले सकती है। शारीरिक श्रम से बचने, विलासिता का जीवन जीने, अधिक कैलोरी वाला भोजन करने, पूरी नींद नहीं लेने, तनाव में रहने और व्यायाम नहीं करने के कारण यह बीमारी निरन्तर लोगों को अपनी चपेट में लेती जारही है। यदि माता-पिता में से किसी को मधुमेह है तो यह रोग उनके बच्चों में अवश्य आता है।

मधुमेह से मरीज के शरीर में कई तरह की समस्याएँ हो सकती हैं। इस खतरनाक बीमारी का सबसे पहला हमला आँखों, गुर्दों और नसों और हृदय पर पड़ता है। शुरु में मरीजों को इसके हमले का पता नहीं चलता लेकिन जब इन महत्वपूर्ण अंगों पर असर होने लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मधुमेह के कारण इन अंगों की जो क्षति हो चुकी है उसकी भरपाई दुनिया की कोई दवा नहीं कर सकती लेकिन जितना बच सका है उसे संभाल लेने में ही मरीज की भलाई है ।

योग एक बेहद कारगर उपाय--

योग इस बीमारी से बचने का एक बेहद कारगर उपाय हो सकता है। योग को अपनाने से जीवन शैली, आचार, विचार, व्यवहार, स्वभाव आदि सब कुछ बदलने लगता है, जिससे शरीरमें सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं। मत्स्येन्द्रासन, मयूरासन, पश्चिमोत्तान आसन, भुजंगासन, कपाल भाति, अग्निसारऔर प्राणायाम इंसुलिन उत्पन्न करने वाली पैन्क्रियाज ग्रंथि पर सीधा असर डालते हैं। जिससे इस ग्रंथि से पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न होने लगता है और मधुमेह में लाभ मिलता है।

आहार में परिवर्तन--

मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए आहार में परिवर्तन करना बेहद जरूरी है। रोगी को मेथी, लौकी, करेला, तोरी, शलगम, प्याज, टमाटर तथा बथुआ, पालक, बंद गोभी आदि पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। दो भाग गेहूं, एक भाग चना और एक भाग सोयाबीन मिले आटे की रोटी खाना मरीज के लिए लाभकर रहता है। सलाद और करेले के रस का सेवन भी इस रोग में फायदेमंद होता है। मधुमेह के मरीज को आयुर्वेदिक दवाओं में गुडमार बूटी, वसंत कुसुमाकर के रस तथा चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा जामुन की गुठली का चूर्ण, कच्ची हल्दी, ग्वार की फली, आंवला, अंकुरित दालें और काले चने भी ले सकते हैं।

जामुन एक पारंपरिक औषधि:

मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। यदि कहा जाए कि जामुन मधुमेह के रोगी का ही फल है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में अत्‍यंत लाभकारी हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन की गुठली भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके बीजों में जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार तीन ग्राम चूर्ण का पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होती है।

करेले से ना डरें:

प्राचीन काल से करेले मधुमेह के इलाज में रामबाण माना जाता रहा है। इसके कड़वे रस के सेवन से रक्‍त में शर्करा की मात्रा कम होती है। मधुमेह के रोगी को प्रतिदिन करेले के रस का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इससे आश्चर्यजनक लाभ प्राप्‍त होता है। नवीन शोधों के अनुसार उबले करेले का पानी मधुमेह को शीघ्र और स्थाई रूप से खत्‍म करने की क्षमता रखता है।

मेथी भी है इलाज :

मधुमेह के उपचार के लिए मेथी के दानों का प्रयोग भी किया जाता है। अब तो बाजार में दवा कंपनियों की बनाई मेथी भी उपलब्‍ध है। मधुमेह का पुराना से पुराना रोग भी मेथी के सेवन से दुरुस्‍त हो जाता है। प्रतिदिन प्रात:काल खाली पेट दो-तीन चम्‍मच मेथी के चूर्ण को पानी के साथ निगल लेना चाहिए।

मधुमेह को रोकने में मददगार काजू:

मधुमेह से पीडित हैं, लेकिन काजू नहीं खाते हैं तो बेहतर होगा की आज से ही खाना शुरू कर दें क्योंकि एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि काजू मधुमेह को रोकने में फायदेमंद होता है। चिकित्सा क्षेत्र के मशहूर जर्नल "मोलेक्यूलर न्यूट्रीशन एण्ड फूड रिसर्च" के मुताबिक मोंट्रियल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि काजू खाने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है। शोधकर्ता पियरे एस. हाडाड ने कहा, काजू खाने से शरीर की मांसपेशीय कोशिकाएं शुगर को अवशोषित कर लेती हैं। इसके अलावा सक्रिय यौगिक पाएं जाते हैं, जो मधुमेह को रोकने में मददगार होते हैं ।

टमाटर बहुत उपयोगी:

मधुमेह के रोगियों के लिए भी टमाटर बहुत उपयोगी होता है। यह पेशाब में चीनी के प्रतिशत पर नियंत्रण पाने के लिए प्रभावशाली होता है। साथ ही कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होने के कारण इसे एक उत्तम भोजन माना जाता है।

मधुमेह के प्रकार:

यहां यह बताना उपयुक्त होगा कि मधुमेह की बीमारी दो तरह की होती है, टाइप-वन और टाइप-टू ।टाइप-वन मधुमेह में पैन्क्रियाज ग्रंथि इंसुलिन उत्पन्न नहीं कर पाती। टाइप-टू मधुमेह में पैन्क्रियाज ग्रंथि अल्प मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न करती है। पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनने के कारण ही टाइप-टू मधुमेह हो जाती है, जिसके अधिकतर लोग मरीज बन जाते हैं। मधुमेह मोटे व्यक्तियों को अधिक होता है, जो अधिकतर बैठे रहते हैं और हर समय कुछ न कुछ खाते रहते हैं। मिठाई अधिक खाने तथा चाकलेट, कोक और पेस्ट्री ज्यादा खाने और पीने से भी यह बीमारी हो जाती है। दिन में ज्यादा सोना और रात में बार-बार मैथुन करना भी मधुमेह को आमंत्रित करता है ।

मधुमेह की जटिलता:

मधुमेह की जटिलताओं लंबे समय तक चुपचाप और धीरे धीरे होते हैं लंबी बीमारी के रूप में, और रक्त शर्करा को नियंत्रित ध्यान से जटिलताओं के लिए अपने जोखिम में वृद्धि होगी. मधुमेह की जटिलताओं विकलांगता या मौत भी हो सकती है.

• हार्ट: दिल की बीमारी मधुमेह और धमनी घनास्त्रता तीव्र हार्ट अटैक, दिल विफलता, स्ट्रोक और भरा हुआ फैटी जमा की वजह से धमनियों सहित हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.

• तंत्रिका क्षति (न्युरोपटी): उच्च रक्त में शर्करा की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं तंत्रिका खिला, विशेष रूप से पैरों में रक्त वाहिकाओं नुकसान कर सकता है. इस जटिलता सुई सनसनी, सुन्नता या पैर की उंगलियों, उंगलियों में जल दर्द कई महीनों के बाद, धीरे - धीरे पैर में फैल सकता है, हाथ कारण बनता है. अगर अनुपचारित, अंगों को खो दिया लगेगा. तंत्रिका पेट को नुकसान मतली पैदा कर सकता है, उल्टी, दस्त या कब्ज. पुरुषों में नपुंसकता हो सकती है. (गुर्दे nephropathy)

•: गुर्दे "संवहनी (गुच्छा glomerulus) है, जो रक्त में फिल्टर बेकार के लाखों होते हैं. जब गंभीर गुर्दे क्षतिग्रस्त डायलिसिस या कृत्रिम गुर्दे की बजाय की जरूरत होगी.

• नेत्र: क्षति मधुमेह रेटिना (रेटिनोपैथी?) क्योंकि मधुमेह रेटिनोपैथी, जो अंधापन करने के लिए नेतृत्व कर सकते हैं रक्त वाहिकाओं को नष्ट कर सकते हैं.

• पैर क्षति: पैर या पैर में घुमाव रक्त के प्रवाह के अभाव में तंत्रिकाओं को नुकसान कई जटिलताएं पैदा होती है. अनुपचारित, इन कटौती उथले गंभीर पैर की उंगलियों को हटाने के नेतृत्व में संक्रमण हो सकता है, पैर या दोनों पैरों.

• त्वचा और मुंह: मधुमेह त्वचा संवेदनशील बना देता है, बैक्टीरिया या कवक द्वारा खमीर संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील, आसानी से संक्रमित मसूड़ों और दांत हानि.

• हड्डियों और जोड़ों: मधुमेह पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस गठिया हड्डी की तरह होता है.

 

मधुमेह से पीडित के लिए 2000 कैलोरी का सबसे अच्छा भोजन का चार्ट-

शाकाहारी/मांसाहारी सुबह के समय नींबू-पानी या चाय बिना चीनी के नींबू-पानी या चाय बिना चीनी के

सुबह का नाश्ता 1 गिलास बिना मलाई का दूध 1 गिलास बिना मलाई का दूध 2 टुकड़े ब्रेड-50 ग्राम 2 टुकड़े ब्रेड-50 ग्राम 3 ग्राम मक्खन 3 ग्राम मक्खन किसी फल का टुकड़ा 1 अंडा और फल का एक टुकड़ा

 

दोपहर से पहले 150 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध या 1कप जूस 150 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध या 1कप जूस

 

दोपहर का भोजन 4 छोटी रोटी या 100 ग्राम चावल 4 छोटी रोटी या 100 ग्राम चावल लगभग 25 ग्राम दाल लगभग 25 ग्राम दाल 100 ग्राम बिना मलाई का दही 100 ग्राम दही, 50 ग्राम मीट या मछ्ली हरी सब्जी जितनी खानी हो हरी सब्जी जितनी खानी हो1 टुकड़ा किसी भी फल का 1 टुकड़ा किसी भी फल का

 

शाम के समय 1 कप बिना मलाई का दूध 1 कप बिना मलाई का दूध बिना चीनी की चाय या कॉफी बिना चीनी की चाय या कॉफी

 

रात का भोजन 100 ग्राम चावल या आटा 100 ग्राम चावल या आटा 50 ग्राम बिना मलाई के दूध का पनीर 50 ग्राम बिना मलाई के दूध का पनीर 1 कटोरी बिना मलाई के दूध का दही 1 कटोरी बिना मलाई के दूध का दही बहुत सारी हरी सब्जियां बहुत सारी हरी सब्जियां 2 छोटे चम्मच घी या तेल 2 छोटे चम्मच घी या तेल 1 फल का टुकड़ा 1 फल का टुकड़ा

 

रात का सोते समय 225 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध 225 मिलीलीटर बिना मलाई का दूध

 

वैज्ञानिकों ने मधुमेह के खिलाफ लड़ाई में एक जीन की खोज कर बड़ी सफलता पाने का दावा किया है। यह जीन इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है। ब्रिटेन के एक दल ने पाया कि जीन के डीएनए में बदलाव से हार्मोन इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है जो टाइप-2 डायबिटीज का प्रमुख कारण है। टाइप-2 डायबिटीज इस बीमारी का आम स्वरूप है। द डेली टेलीग्राफ में प्रकाशित खबर में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया कि इस खोज की बदौलत जल्द ही दवाओं के जरिए नया उपचार आ सकता है। इस दवा का लक्ष्य जैनेटिक त्रुटि को दूर कर उस शरीर की रक्षा करना है जो इंसुलीन पर प्रतिक्रिया नहीं कर पाता। शरीर में हर्मोन रक्त से ग्लूकोज को अवशोषित करने वाली कोशिशाओं को नियंत्रित करते हैं और इसी के जरिए ऊर्जा उत्पन्न होती है।

 

मधुमेह के मरीजों के लिए होम्योपैथिक उपचार:

 

निम्नलिखित उपचार का प्रयोग मधुमेह में लाभ मिलता है !

Insulinum30, पानी में 1 बूँदें  दैनिकएक बार  -सुबह 

Pancreatinum Syzygium Jambo क्यू , पानी में 10 बूँदें  दैनिकदो बार -भोजन केपहले

 

निश्चित रूप से मधुमेह के मरीज को टहलने से काफी लाभ होता है। टहलने का मतलब है तेज गति से चलना। व्यक्ति अधिक से अधिक तेजी से सांस ले और उसके शरीर में आक्सीजन की मात्रा ज्यादा से ज्यादा जाये। व्यक्ति को इतनी तेजी से जरूर टहलना चाहिए ताकि शरीर से पसीना निकल जाये। प्रतिदिन मधुमेह के मरीजों को एक घंटे में पांच किलोमीटर टहलना चाहिए। व्यायाम भी काफी लाभकारी होता है।

बरसात के दिनों में मधुमेह के मरीजों को काफी सावधान रहने की जरूरत होती है। बरसात में संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। अगर किसी तरह का संक्रमण फैलता है तो चिकित्सक की सलाह से ही दवा का इस्तेमाल करनी चाहिए।

लोगों के जीवन शैली में आये बदलाव के कारण मधुमेह की बीमारी काफी तेजी से पैर पसार रही है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है।

प्रकृति कभी बीमारी पैदा नहीं करती। मुनष्य अपनी गलत जीवन शैली, गलत भोजन, गलत आदत, गलत स्वभाव के कारण बीमार होता है। प्राकृतिक रूप में रहने वाले कोई भी जानवर कभी बीमार नहीं होते। जैसी जीवन शैली पशु पक्षिओ की होती है वैसा भोजन और जीवन बनाने की अगर हम कोशिश करेंगे तो हम भी स्वस्थ रहेंगे।

मधुमेह में पाँव की रक्षा हेतु  ध्यान रखना:

मधुमेह के रोगियों को अपने पाँव की रक्षा हेतु निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिये —

(१) पैरों को नियमित रूप से धो कर साफ़ रखें।

(२) केवल गुनगुने पानी का प्रयोग करें---गर्म पानी,आयोडीन, अल्कहौल या गर्म पानी की बोतल का प्रयोग न करें।

(३) पैरों को सूखा रखें---विशेषकर उँगलियों के बीच के स्थान को. सुगंधहीन क्रीम /लोशन के प्रयोग से त्वचा को मुलायम रखें।

(4) पैरों के नाखून उचित प्रकार से काटें---किनारों पर गहरा न काटें।

(५) गुख्रू को हटाने के लिए ब्लेड, चाकू , ‘कॉर्न कैप' का प्रयोग न करें।

(६) नंगे पाँव कभी न चलें, घर के अन्दर भी नहीं. हमेशा जूता/चप्पल पहन कर ही चलें।

(७) कसे हुए या फटे पुराने जूते/चप्पल न पहनें. आरामदेह जूते/चप्पल ही पहनें।

(८) स्वयं ही अपने पाँव की जांच नियमित रूप से करें और कोई भी परेशानी होने पर तुंरत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

(९) केवल चिकित्सक द्वारा बताई गयी औषधि का ही प्रयोग करें —घरेलू इलाज न करें।

 

जागरूकता के माध्यम से ही मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। मधुमेह के मरीजों के लिए टहलना, नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन बहुत जरूरी है। अगर इससे बीमारी नियंत्रित नहीं रहती है तो मरीज को चिकित्सक से फौरन सम्पर्क कर इलाज करना चाहिए।हम सभी को यह आशा करनी चाहिए की मधुमेह के प्रति जनसाधारण मे जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी की रोकथाम मे सहायता मिलेगी।

 

{विशेष आभार व्यक्त….मनोज जी चतुर्वेदी एवं प्रियभाई व मित्र डॉ.राजेंद्र प्रसाद पारीकजी , बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान[बिट्स पिलानी] के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।}

 


मुनष्य अपनी गलत जीवन शैली, गलत भोजन, गलत आदत, गलत स्वभाव के कारण बीमार होता है
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 BRAIN DAMAGING HABITS

1. No Breakfast
People who do not take breakfast are going to have a lower blood sugar level. This leads to an insufficient supply of nutrients to the brain causing brain degeneration.

2 . Overeating=2 0

It causes hardening of the brain arteries, leading to a decrease in mental power.

3. Smoking

It causes multiple brain shrinkage and may lead to Alzheimer disease.

4. High Sugar consumption

Too much sugar will interrupt the absorption of proteins and nutrients causing malnutrition and may interfere with brain development.

5. Air Pollution

The brain is the largest oxygen consumer in our 20 body. Inhaling polluted air decreases the supply of oxygen to the brain, bringing about a decrease in brain efficiency.

6 . Sleep Deprivation

Sleep allows our brain to rest.. Long term deprivation from sleep will accelerate the death of brain cells..

7. Head covered while sleeping

Sleeping with the head covered increases the concentration of carbon dioxide and decrease concentration of oxygen that may lead to brain damaging effects.

8. Working your brain during illness

Working hard or studying with sickness may lead to a decrease in effectiveness of the brain as well as damage the brain.

9. Lacking in stimulating thoughts

Thinking is the best way to train our brain, lacking in brain stimulation thoughts may cause brain shrinkage.

10. Talking Rarely

Intellectual conversations will promote the efficiency of the brain 
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HAIR FALL & TREATMENTS-

Listed below are five natural hair treatments that have proven to stop hair loss for many men and to certainly slow down the rate of hair falling out.

1. When washing your hair try using filtered water. The chlorine levels in many of the local water to our homes are extremely high. This can cause damage to your scalp and cause your hair to fall out.

2. Dry scalp is a big reason for your hair falling out. It is usually caused by lack of proteins, iron and water. A very good natural treatment for dry scalp is to massage olive oil into your hair and scalp, then gently wash and rinse your hair with a mild non-abrasive shampoo. Do this treatment every week. 

3. Ginkgo supplements are effective in restoring your circulation and blood flow, which can also be a major cause of hair loss. Folic acid tablets as well as increasing you water intake are also good hair loss remedies. 

4. Rosemary essential oil is a main ingredient in many hair loss oils you buy. Try this very effective rosemary vinegar hair rinse besides slowing hair loss to a stand still it is very good for the treatment of dandruff and psoriasis.

First, to make the rosemary vinegar you will need fresh rosemary and apple cider vinegar

1 Cup Apple Cider Vinegar
4 Tablespoons chopped fresh rosemary

Heat the vinegar to just before it starts to boil, then pour it over your chopped rosemary.
Let it steep for 24 hours. You will need very little of it to make a bottle of hair rinse.

1/8 cup, which is about 2 tablespoons of rosemary vinegar
1-cup water
20 drops rosemary essential oil 
1 tablespoon of vegetable glycerin (optional)
Apply to your hair after shampooing, then rinse. Rosemary essential oil can be bought at health food stores and on the vitamin and supplement aisles. Store the rosemary vinegar and make up your rinse as you need it. The vinegar only gets stronger the longer you store it.

5. Finally another remedy that has been used as a natural hair tonic for years are eggs. Either just the white of an egg or the yolk. Usually the yolk works best because of the protein in it. Massage into your scalp and the shampoo and rinse. It really makes your hair look fuller and silky.

Learn about hair restoration and what many men have already found out. You can get better looking and healthy thicker hair. You do not have to spend thousands of dollars on surgery or expensive hair products.
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The main causes of liver damage are:


1. Sleeping too late and waking up too late are main cause.

2. Not urinating in the morning.

3 . Too much eating.

4. Skipping breakfast.

5. Consuming too much medication & alcohol.

6. Consuming too much preservatives, additives, food coloring, and artificial sweetener.


7. Consuming unhealthy cooking oil..

As much as possible reduce cooking oil use when frying, which includes even the best cooking oils like olive oil. Do not consume fried foods when you are tired, except if the body is20very fit.

8. Consuming raw (overly done) foods also add to the burden of liver.

Veggies should be eaten raw or cooked 3-5 parts. Fried veggies should be finished in one sitting, do not store.

We should prevent this without necessarily spending more. We just have to adopt a good daily lifestyle and eating habits. Maintaining good eating habits and time condition are very important for our bodies to absorb and get rid of unnecessary chemicals according to ' schedule. '
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The top five cancer-causing foods are:



1.. Hot Dogs 


 


Because they are high in nitrates, the Cancer Prevention Coalition advises that children eat no more than 12 hot dogs a month. If you can ' t live without hot dogs, buy those made without sodium nitrate.

2. Processed meats and Bacon 

    

Also high in the same sodium nitrates found in hot dogs, bacon, and other processed meats raise the risk of heart disease. The saturated fat in bacon also contributes to cancer.

3. Doughnuts




Doughnuts are cancer-causing double trouble. First, they are made with white flour, sugar, and hydrogenated oils, then fried at high temperatures. Doughnuts, says Adams , may be the worst food you can possibly eat to raise your risk of cancer.

4. French fries



Like doughnuts, French fries are made with hydrogenated oils and then fried at high temperatures. They also contain cancer- causing acryl amides which occur during the frying process. They should be called cancer fries, not French fries, said Adams .

5. Chips, crackers, and cookies 

       

All are usually made with white flour and sugar. Even the ones whose labels claim to be free of trans-fats generally contain small amounts of trans-fats.

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LEMON:

Many people often love the tarty flavor of lemon juice in their dishes. But have you ever wondered that you can put this lemon juice to many more good uses than this? Yes! There are enormous benefits of lemon juice and water in your everyday life.

you simply need to arm yourself with relevant knowledge and you would soon start valuing this amalgamation more than ever.



Lemon is an inexpensive, easily available citrus fruit, popular for its culinary and medicinal uses. It is used to prepare a variety of food recipes such as lemon cakes, lemon chicken and beverages like lemonade and lemon-flavored drinks. It is also used for garnishing. Lemon juice consists of about 5% citric acid that gives a tarty taste to lemon. Lemon is a rich source of vitamin C. It also contains vitamins like vitamin B, riboflavin and minerals like calcium, phosphorus, magnesium as well as proteins and carbohydrates. Lemon is generally consumed in the form of lemon juice or lemon water. Lemon water makes a healthy drink, especially when taken in the morning. Daily consumption of lemon water provides a number of health benefits like:

  • Good for stomach
Lemon can help relieve many digestion problems when mixed with hot water. These include nausea, heartburn and parasites. Due to the digestive qualities of lemon juice, symptoms of indigestion such as heartburn, bloating and belching are relieved. By drinking lemon juice regularly, the bowels are aided in eliminating waste more efficiently. Lemon acts as a blood purifier and as a cleansing agent. The intake of lemon juice can cure constipation. It is even known to help relieve hiccups when consumed as a juice. Lemon juice acts as a liver tonic and helps you digest your food by helping your liver produce more bile. It decreases the amount of phlegm produced by your body. It is also thought to help dissolve gallstones.
  • Excellent for Skin Care
Lemon, being a natural antiseptic medicine, can participate to cure problems related to skin. Lemon is a vitamin C rich citrus fruit that enhances your beauty, by rejuvenating skin from within and thus bringing a glow on your face. Daily consumption of lemon water can make a huge difference in the appearance of your skin. It acts as an anti-aging remedy and can remove wrinkles and blackheads. Lemon water if applied on the areas of burns can fade the scars. As lemon is a cooling agent, it reduces the burning sensation on the skin.
  • Aids in Dental Care
Lemon water is used in dental care also. If fresh lemon juice is applied on the areas of toothache, it can assist in getting rid of the pain. The massages of lemon juice on gums can stop gum bleeding. It gives relief from bad smell and other problems related to gums.
  • Cures Throat Infections
Lemon is an excellent fruit that aids in fighting problems related to throat infections, sore throat and tonsillitis as it has an antibacterial property. For sore throat, dilute one-half lemon juice with one-half water and gargle frequently.
  • Good for Weight Loss
One of the major health benefits of drinking lemon water is that it paves way for losing weight faster, thus acting as a great weight loss remedy. If a person takes lemon juice mixed with lukewarm water and honey, it can reduce the body weight as well.
  • Controls High Blood Pressure
Lemon water works wonders for people having heart problem, owing to its high potassium content. It controls high blood pressure, dizziness, nausea as well as provides relaxation to mind and body. It also reduces mental stress and depression.
  • Assist in curing Respiratory Disorders
Lemon water assists in curing respiratory problems, along with breathing problems and revives a person suffering from asthma.
  • Good for treating Rheumatism
Lemon is also a diuretic and hence lemon water can treat rheumatism and arthritis. It helps to flush out bacteria and toxins out of the body.
  • Reduces Fever
Lemon water can treat a person who is suffering from cold, flu or fever. It helps to break fever by increasing perspiration.
  • Acts as a blood purifier

The diseases like cholera or malaria can be treated with lemon water as it can act as a blood purifier.

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